लोकतंत्र के उत्सव में गजब का भाईचारा!
सुल्तानपुर : सत्ता के संघर्ष और चुनावी संग्राम में उतरे रणबांकुरे मंचों से तलवार भांज रहे हैं। बिना थके, बिना रुके एक दूसरे को ललकारने में भी न धूप की परवाह है और न ही प्यास की। पर, सुल्तानपुर कलेक्ट्रेट के बाहर तो राजनीतिक दलों के जुझारू कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में गजब का भाईचारा देखने को मिला। या यूं कहें तो खाकी की भारी भरकम और प्रशासन की तगड़ी व्यवस्था देख सपा-बसपा के कार्यकर्ता अपनी-अपनी पंक्ति बनाए अगल-बगल से गुजरते रहे। शहर में भीड़ और लोकतंत्र के उत्सव में शामिल होने वालों का बड़ा जमावड़ा आज देखने को मिला। कहीं आश्चर्यजनक दृश्य भी दिखे। सभा किसी की थी और झंडा-टोपी के साथ किसी दूसरे दल का व्यक्ति वहां विचारों को सुन रहा था। कहीं-कहीं तो वाहनों पर भी लोग पूछ रहे थे कि फला गांव से आया है क्या? खुर्शीद क्लब हो या सुपर मार्केट में सत्तादल के कार्यालय के सामने लोग विचारों को सुनने खड़े थे। मंचों से शब्दों की तलवारें भांजीं जा रहीं थीं। सबको अपने मतदातारूपी भगवान से बस बटन दबवाने की ही गुजारिश रही। सबका प्रयास यही कि वे वोटरों को अपने ओर आकर्षित कर उनसे आशीर्वाद ले सकें। पर, मतदाता तो सात मई को आशीर्वाद देगा। पर, एक चीज तो भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा सबके नामांकन के दौरान दिखी सभी पार्टियों के लोग और कार्यकर्ता इस चुनावी मौसम में अभी तक पूरी तरह कूल-कूल बने हुए हैं। यह प्रशासन के लिए भी एक शुभसंकेत माना जा सकता है।