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यहां तो अपनी मर्जी से आते हैं चिकित्सक

चांदा : सत्ता बदली, अधिकारी बदले लेकिन चिकित्सकों व कर्मियों की कार्यशैली पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 May 2017 10:01 PM (IST)Updated: Mon, 22 May 2017 10:01 PM (IST)
यहां तो अपनी मर्जी से आते हैं चिकित्सक
यहां तो अपनी मर्जी से आते हैं चिकित्सक

चांदा : सत्ता बदली, अधिकारी बदले लेकिन चिकित्सकों व कर्मियों की कार्यशैली पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। स्वास्थ्य केंद्र पर डाक्टर व कर्मी अपनी मर्जी से आते और जाते हैं। मरीज तो जरूर आते हैं लेकिन चिकित्सकों के न मिलने पर उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ता है। जागरण ने गुरुवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पीपी कमैचा का हालचाल लिया। प्रस्तुत है दिनेश पांडेय की एक रिपोर्ट..।

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इनसेट.छह चिकित्सकों की तैनाती मोके पर एक भी नहीं

यूं तो स्वास्थ्य केंद्र पर पांच चिकित्सकों डॉ.एएन राय, डॉ.आरएन ¨सह, डॉ.रामसजीवन, डॉ.पूनम कुंदनानी, डॉ.राकेश ¨संबल, डॉ.अमित मौर्य केंद्र पर तैनात हैं। जिसमें डॉ.कुंदनानी व डॉ.राकेश का तबादला हो गया है। मौके पर चार चिकित्सक हैं, लेकिन गुरुवार को दोपहर 11 बजे अस्पताल परिसर में केवल फार्मासिस्ट ही मौके पर मौजूद मिला। वहीं मरीजों की मिजापुर्सी कर रहा था। पूछने पर पता चला कि साहब आ रहे होंगे।

इनसेट..अस्पताल में लिखी जा रहीं बाहर की दवाएं

अभी सप्ताह भर पूर्व स्थानीय विधायक देवमणि दूबे ने सीएचसी का औचक निरीक्षण किया था। उन्हें चिकित्सकों द्वारा बाहर से दवा लिखने की शिकायतें मिलीं। जिस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा था कि किसी भी हालत में मरीजों को बाहर से दवाएं न लिखी जाएं। बावजूद इसके चिकित्सकों द्वारा मरीजों के पर्चे पर बाहर से दवाएं लिखी जाती हैं। शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

इनसेट.पेयजल की किल्लत बरकरार

भीषण गर्मी के बीच मरीजों को

पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। लाखों की लागत से अस्पताल में लगा दोनों ठंडा पानी सयंत्र बेकार पड़ा है। जबकि गर्मी शुरू होने से पूर्व ही लोगों ने इसे ठीक कराए जाने की मांग की थी। वहीं परिसर में लगे हैंडपंप भी दिखावा साबित हो रहे हैं। जिससे यहां आने वाले लोगो को दुकानों पर जाकर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। इस ओर अस्पताल प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है।

वहीं अस्पताल परिसर में लगा जनरेटर भी केवल शोभा बढ़ा रहा है। जबकि डीजल के नाम महीने में हजारों रुपये रजिस्टर में खर्च दिखाया जाता है, लेकिन चलता कभी नहीं है। बिजली न रहने पर सबसे अधिक परेशानी प्रसूताओं को होती है।

इनसेट..बोले नागरिक ईसीपुर

निवासी अरुण कुमार दूबे व अजय शुक्ला कहते हैं कि अस्पताल में मरीजों की सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। यहां वर्षों से तैनात चिकित्सक कमीशन पाने के लिए बाहर से दवाएं लिखते हैं। जिससे मरीजों का शोषण होता है। रामबाबू शुक्ला व दिलीप मोदनवाल कहते हैं कि यहां प्रसूताओं को मिलने वाला भोजन व नाश्ते में भी खेल किया जा रहा है। कहा कि दो दिन से अस्पताल में मरीज को लेकर भर्ती हैं। सबकुछ बाहर से खरीदना पड़ रहा है।

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-हमारे पास जीवन रक्षक सभी दवाएं हैं। फिर क्यों बाहर से पर्चा लिखा जाता है के सवाल पर उन्होंने बताया कि कुछ आवश्यक दवाएं स्टाक में मौजूद नहीं हैं। जो एक-दो दिन में उपलब्ध हो जाएंगी। चिकित्सकों की गैर हाजिरी के बाबत बताया कि वे आज सुबह ही बाइक से घायल हो गए हैं। उनके न आने की जानकारी करेंगे। एएन राय, चिकित्साधिकारी पीपी कमैचा


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