शराबियों पर खाकी गुर्रायी, 585 का किया चालान
सुलतानपुर: एक साथ पूरे जिले में रविवार की रात के आठ बजे पुलिस की 38 टीमें छापेमारी करने लगीं। शराब ठ
सुलतानपुर: एक साथ पूरे जिले में रविवार की रात के आठ बजे पुलिस की 38 टीमें छापेमारी करने लगीं। शराब ठेकों के इर्द-गिर्द भगदड़ मच गई। कुछ लहराकर भागे.तो कुछ वहीं ढ़ेर हो गए। पुलिस ने किसी को दौड़ाकर पकड़ा तो कोई खुद ही पुलिस वैन में जाकर बैठ गया। थानों में तो मेला जैसा नजारा बन पड़ा। रात गहराती रही और लोग मिन्नतें करते रहे। करीब 11 बजे रात में 585 लोगों को चालान काट दिया गया। इस दौरान तमाम सफेदपोश लोगों के फोन थानेदारों व पुलिस अफसरों के पास पहुंचते रहे। कई संभ्रांत परिवार के लोग अपने बच्चों की खोज खबर करने थाने तक जा पहुंचे।
रविवार दिन भर सबकुछ सामान्य था। मगर शाम ज्यों गहराई पुलिस सड़क पर पूरे भौकाल से उतर आई। करीब आठ बजे रात में शहर, तहसील, कस्बा, गांव जहां शराब के ठेके हैं, सब जगह खाकी पूरे रौ में जा धमकी। ठेकेदारों से तो कुछ नहीं बोला गया। पर, रंगीन पानी गटक रहे लोगों को पुलिस वाहनों में भरने लगी। ऐसी जगहों पर भगदड़ मची। दोस्तपुर में तो कुछ देर के लिए सड़क पर सन्नाटा छा गया। फुटपाथ के दुकानदार अपना सामान बटोरकर भागने लगे। अन्य दुकानों के शटर भी गिरने लगे। कूरेभार में भी ऐसे ही हालात दिखे। भदैंया में शराबियों को जिधर जगह मिली उधर हो लिए। मगर पुलिस उन्हें दौडा-दौड़ाकर पकड़ लाई। कादीपुर, सूरापुर, चांदा, बल्दीराय, अखंडनगर, हलियापुर, लम्भुआ, कुड़वार, जय¨सहपुर, गोसाईगंज आदि इलाकों में शराबियों पर तो मानो आफत टूट पड़ी। शहर कोतवाली में 98 नशेड़ियों को पुलिस जुलूस के मा¨नद कोतवाली तक लाई। थाने में उन्हें बैठाया गया। इधर इतनी बड़ी तादाद में लोगों के पकड़े जाने के बाद उनके परिवारवाले पुलिस कब्जे में छुड़वाने की जुगत भिड़ाने लगे। सत्तादल का नेता हो या विपक्ष का। सबके दरवाजों पर शराबियों के अभिभावकों की दस्तक हुई। अपने पाल्यों को घर लाने की मिन्नतें करते देखे गए। रात 11 बजे सभी लोगों को कागजी कार्रवाई पूरी कर छोड़ दिया गया।
इनसेट.बारात में भी पड़ी खलल
रविवार को लगन तेज होने के चलते शादी-ब्याह पड़े पैमाने पर आयोजित थे। शराबियों की धरपकड़ से बारातों में भी खलल पड़ी। यार दोस्तों की बारात में शामिल होने आए लोग मूड बनाने की खातिर जब ठेकों पर पहुंचे उसी दौरान खाकी उन्हें उठा ले गई। जिसकी वजह से बाराती लोग भी अपनों को छुड़ाने के लिए थानों के इर्दगिर्द मंडराते रहे। जबकि द्वारचार आदि जगहों पर डांस के लिए दूल्हे के यार-दोस्तों की संख्या कम पड़ गई। देर रात रिहाई के बाद तमाम बाराती अपने ठिकाने तक पहुंचे और दावत छकी।