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'मानव योनि ही सत्कर्मों के लिए उत्कृष्ट'

धनतपगंज (सुलतानपुर) : मानव योनि ही सत्कर्मो के लिए सबसे उत्कृष्ट है। इसलिए हमें दूसरों की सेवा में ज

By Edited By: Published: Sat, 21 Jan 2017 12:50 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2017 12:50 AM (IST)
'मानव योनि ही सत्कर्मों के लिए उत्कृष्ट'
'मानव योनि ही सत्कर्मों के लिए उत्कृष्ट'

धनतपगंज (सुलतानपुर) : मानव योनि ही सत्कर्मो के लिए सबसे उत्कृष्ट है। इसलिए हमें दूसरों की सेवा में जीवन को लगाना चाहिए। यह बातें हरौरा बाजार में चल रही सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमछ्वागवत कथा में कथावाचक स्वामी स्वस्तसन महाराज ने कहीं।

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महाराज ने कहाकि 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य तन की प्राप्ति होती है। इसी तन में हम अच्छे कार्य कर सकते हैं। यही कारण है कि देवता भी मनुष्य शरीर पाने के लिए तरसते हैं। मगर यह तन बहुत मुश्किल से मिलता है। इसीलिए हमें चाहिए कि हम अच्छे कर्म करें। दूसरों की सेवा करें। प्रभु का कीर्तन करें। इस मौके पर जोखू सेठ, ओम नरायन, लवकुश, हरिशंकर, हनुमान तिवारी, लल्लू पांडेय, मनीष आदि मौजूद रहे।


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