प्रभु भक्ति की कोई उम्र नहीं होती
भदैंया (सुलतानपुर) : प्रभु की भक्ति की कोई उम्र नहीं होती। बाल अवस्था में ही भक्त प्रह्लाद व बालक ध्
भदैंया (सुलतानपुर) : प्रभु की भक्ति की कोई उम्र नहीं होती। बाल अवस्था में ही भक्त प्रह्लाद व बालक ध्रुव ने इसे चरितार्थ कर दिया था। यह बातें पन्नाटिकरी कामतागंज में चल रही श्रीमछ्वागवत कथा महापुराण ज्ञानयज्ञ में शुक्रवार को पं. प्रकाशचंद्र पांड़ेय विद्यार्थी ने कहीं।
कथावाचक ने कहाकि प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे। वह असुरों के राजा हिरण्याकश्यप का पुत्र था। हिरण्याकश्यप अपने को ईश्वर बता असुरों से पूजा करवाता था। इसको न मानने पर प्रह्लाद की बुआ होलिका उसे मारने के लिए आग में बैठ गयी। वहां प्रभु की कृपा से होलिका जल गयीं और प्रह्लाद बच गया। भगवान विष्णु ने नर¨सह का रुप लेकर हिरण्याकश्यप का वध किया। कथा वाचक पांडेय ने आगे कहाकि बिना भगवान की भक्ति के जीवन का कल्याण संभव नहीं है।