Move to Jagran APP

सुनहुं भरत भावी प्रबल : डॉ.मदन

सुलतानपुर : विकास खंड प्रतापपुर कमैचा के चांदा कस्बे में चल रही रामकथा के दूसरे दिन डॉ.मदनमोहन मिश्र

By Edited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 11:49 PM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 11:49 PM (IST)
सुनहुं भरत भावी प्रबल : डॉ.मदन

सुलतानपुर : विकास खंड प्रतापपुर कमैचा के चांदा कस्बे में चल रही रामकथा के दूसरे दिन डॉ.मदनमोहन मिश्र ने भरत चरित्र व रामवनवास का चरित्र श्रद्धालुओं के समक्ष वर्णन किया। महाराज जी ने कहा कि भगवान को जो भजता है उसे हम भक्त कहते हैं, लेकिन जिसे भगवान भजते हैं उसे हम भरत कहते हैं। राम वनगमन का संदेश सुनकर भरत अयोध्या आते हैं और कुलगुरु वशिष्ठ से जब ये पूछते हैं कि महाराज आप तो त्रिकालदर्शी हैं। आप इस अनहोनी को रोक सकते थे। इस पर वशिष्ठ जी ने कहा सुनहुं भरत भावी प्रबल बिलख कहेऊ मुनिनाथ, हानि-लाभ जीवन-मरण जश-अपजश विधि हाथ। राम वनगमन वर्णन सुनकर उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। कथा को आगे बढाते हुए मानस कोविद डॉ.मदन मोहन मिश्र ने कहा कि समय शक्ति और संपत्ति का सदुपयोग ही योग है। और इसका दुरुपयोग ही भोग है। रावण सुधार चाहता था, तलवार के बल पर। परशुराम सुधार चाहते थे फरसा के बल पर, ¨कतु राम ने समाज का सुधार किया अपने व्यवहार के बल पर। प्रत्येक माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को आने-जाने के लिए कार दें या न दें, लेकिन बच्चों को संस्कार जरूर दें। क्योंकि कार से व्यक्ति बड़ा आदमी बनता है जबकि संस्कार से भला। इस दौरान सत्य नारायण तिवारी, सभाजीत मिश्र, डॉ.एसबी ¨सह, इंद्रजीत मिश्रा, विद्याधर तिवारी, अमृतलाल जायसवाल समेत सैकड़ों गणमान्य श्रद्धालु मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.