'भगवत कृपा का सर्वोत्तम मार्ग भक्ति'
सुलतानपुर : भगवान की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम मार्ग भक्ति है। ज्ञान व वैराग्य भक्ति के ही दो प
सुलतानपुर : भगवान की कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम मार्ग भक्ति है। ज्ञान व वैराग्य भक्ति के ही दो पुत्र बताए गए हैं। ये कहना है स्वामी गंगेशानंद का। वे सोमवार को चिन्मय मिशन के तत्वावधान में खुर्शीद क्लब में चल रहे मानस ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन प्रवचन कर रहे थे।
स्वामी गंगेशानंद ने ज्ञानदीप रूपक के अंतिम परिणाम के रूप में जो अनुभूति साधान को प्राप्त होती है, उसकी चर्चा की। इस अवस्था में साधक अपने परमात्म स्वरूप का ज्ञान हो जाता है। द्वैत वृत्ति का नाश हो जाता है। इस सिद्ध के बाद आने वाली समस्याओं की ओर भी स्वामी ने ध्यानाकृष्ट किया। कहाकि साधक की ज्ञानवृत्ति को खंडित करने के लिए अणिमा, लघिमा व गरिमा स²श्य, रिद्धियां, सिद्धियां आती हैं। साधक उनके चमत्कार के वशीभूत होकर दीर्घ साधना से प्राप्त ज्ञान को खो बैठता है। साधक को उनसे बचने के लिए भक्ति का सहारा लेना चाहिए। कथा की समाप्ति पर आध्यात्मिक वातावरण सृजन के लिए भजन प्रस्तुत करने वाले धर्मेंद्र तिवारी व सुमन ¨सह को स्वामी ने सम्मान राशि देकर उत्साहवर्धन किया। मिशन अध्यक्ष डॉ.जेपी ¨सह, सभासद रमेश ¨सह, डॉ.धर्मपाल ¨सह आदि मौजूद रहे।