बिटिया ने किया कमाल, सुलतानपुर हुआ निहाल
सुलतानपुर : सुलतानपुर की बिटिया के सुरों का जादू एक निजी चैनल में सबका मन मोह लिया। निर्णायक मंडल के
सुलतानपुर : सुलतानपुर की बिटिया के सुरों का जादू एक निजी चैनल में सबका मन मोह लिया। निर्णायक मंडल के साथ मोबाइल एसएमएस की खुली वो¨टग में वह सबकी लाडली बन गई। उसके जीतने की खुशी में जिला झूम उठा। रविवार देर रात परिणाम आते ही शहर पटाखों के धमाकों से गूंज उठा। सोमवार को दिन भर उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। हालांकि निष्ठा अभी भी मुंबई में ही है।
शहर के विवेकनगर-निरालानगर के निवासी जयप्रकाश शर्मा संगीत के शिक्षक हैं। छह माह पूर्व 22 अप्रैल को एक निजी टीवी चैनल एंड टीवी में जब वाइस किड्स में सुरों के जादूगरों को तलाशना शुरू किया तो सुलतानपुर की संगीत शिक्षक की बेटी निष्ठा शर्मा की आवाज उन्हें भा गई। पहले ऑडीशन फिर बिटिया को मुंबई में बुलाकर छह माह से म्युजिक ग्रुप के साथ उसे कर दिया गया। हर राउंड में निष्ठा सुरों का जादू बिखेरती रही। शास्त्रीय संगीत पर गीतों के बोल ने निर्णायक मंडल ने बांधकर रख दिया। जहां वाह-वाह के अलावा और कुछ था ही नहीं। प्रतियोगिता के सारे चक्रों को उसने अपनी सुर साधना से पार किया। फिर सेमीफाइनल और फाइनल के लिए एसएमएस की जरूरत थी। जिस पर पूरे शहर सहित गांव-कस्बों तक समाज के सामाजिक लोगों ने होर्डिंग बैनर टांगकर लोगों ने निष्ठा के लिए वो¨टग अपील की। वोट के लिए शहर के कई चौराहों पर रंगारंग कार्यक्रमों के मध्य वो¨टग अपील के आयोजन हुए। फिर 23 की रात निष्ठा ने वोटों में भी बाजी मार ली। वह वाइस किड्स बनकर सुलतानपुर को निहाल कर गई। उनके पिता जयप्रकाश शर्मा कहते हैं कि निष्ठा की जीत में सुलतानपुर के जर्रे-जर्रे का आशीर्वाद है। उन्होंने जागरण को खासतौर से सराहते हुए बोले कि इसे शब्दों में बयां करना संभव नहीं है।
मां-बेटी मुंबई में, त्यागी बना दिव्यांग पिता
कहते हैं कि बच्चों की तरक्की में मां-बाप का त्याग समाहित होता है। जयप्रकाश शर्मा ने इसे करके दिखाया। एक पैर से दिव्यांग शर्मा के आंखों से आंसू बह निकलते जब स्क्रीन पर निष्ठा बोलती कि पापा मुझे पैसा मिला तो मैं आपका बेहतर से बेहतर इलाज कराऊंगी। ये भावुक नजारा टीवी स्क्रीन से लेकर कई मंचों पर भी दिखा। शर्मा जहां भी रहे उनकी आंखें नम हो जातीं। बता दें कि छह माह से जयप्रकाश शर्मा शहर में 18 साल के बेटे के साथ अकेले रह रहे हैं। जबकि बेटी और पत्नी मुंबई में थी। उनसे पूछा गया कि भोजन आदि की व्यवस्था कैसे होती थी तो उन्होंने अपने संगीत साधक शिष्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हीं बच्चों के घरों पर भोजन आदि की व्यवस्था हो जाती थी। हम जान ही नहीं पाए कि परिवार यहां नहीं है। निष्ठा कान्वेंट स्कूल में आठवीं की छात्रा है। उसकी उपलब्धि पर सिस्टर आयरिन ने भी खुशी जाहिर की है।