श्रवण से स्थिर होती है बुद्धि :गंगेशानंद
सुलतानपुर : श्रवण से बुद्धि स्थिर हो जाती है, ¨कतु मनन के पश्चात वह व्यक्ति के जीवन में व्यावहारिक र
सुलतानपुर : श्रवण से बुद्धि स्थिर हो जाती है, ¨कतु मनन के पश्चात वह व्यक्ति के जीवन में व्यावहारिक रूप से प्रकट होती है। मनन से ही वैराग्य प्राप्त होता है। व्यक्ति की संसार के पदार्थों में आशक्ति समाप्त हो जाती है। ये विचार रविवार को स्वामी गंगेशानंद ने व्यक्त किए। वे रविवार को खुर्शीद क्लब में चिन्मय मिशन के तत्वावधान में आयोजित मानस ज्ञान यज्ञ में ज्ञान दीप रूपक की व्याख्या कर रहे थे।
स्वामी गंगेशानंद ने भगवान शब्द का तात्विक अर्थ बताया। कहा कि जिसमें छह भग अर्थात ऐश्वर्य, सामर्थ्य, धर्म, यश, लक्ष्मी तथा वैराग्य पूरी मात्रा में सदैव निवास करते हैं। वही भगवान कहा जाता है। मनन और ध्यान से व्यक्ति को तुरीयावस्था प्राप्त होती है। जिसमें व्यक्ति का किसी से भी वैर-भाव नही रह जाता। इस तुरीय चेतना को विज्ञान रूपी दीपक में रख दिया जाता है। तब इसके प्रकाश में काम, क्रोध, मद, लोभ जैसे तत्व जलकर भष्म हो जाते हैं। निरंतर यह प्रक्रिया चलती रहने से व्यक्ति को यह ज्ञान हो जाता है कि वह सच्चिदानंद स्वरूप परमात्मा का ही रूप है। कार्यक्रम में मिशन प्रदेश प्रमुख डॉ.जेपी ¨सह, बजरंग बहादुर ¨सह, रामशंकर वाजपेयी, डॉ.डीपी ¨सह आदि मौजूद रहे।