प्रशासनिक लापरवाही का नमूना है कमनगढ़ की घटना
सुलतानपुर : तहसील दिवस व एसपी से शिकायत को भी प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया। केवल खानापूरी की गयी।
सुलतानपुर : तहसील दिवस व एसपी से शिकायत को भी प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया। केवल खानापूरी की गयी। जिसका नतीजा गत रविवार की सुबह देखने को मिला। भूखंड पर कब्जे को लेकर दो पक्षों में खूनी संघर्ष हो गया। चार लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए हैं, जिनका इलाज आज भी लखनऊ में चल रहा है।
कोतवाली देहात क्षेत्र के फैजाबाद बाइपास पर गोमती नदी किनारे स्थित कमनगढ़ में एक निजी स्कूल के पीछे निषाद बस्ती है। जहां पर करीब साढ़े सात बीघे की अराजी की शेष भूमि को कुछ लोग समतल करने सप्ताहभर पहले गये तो निषाद जगतपाल सहित कई लोगों ने इसका विरोध किया। 20 सितंबर को रास्ता व पुल तोड़कर जमीन कब्जाने का आरोप लगा तहसील दिवस में शिकायत की गई। कार्रवाई नहीं हुई तो 23 सितंबर को निषादों ने पुलिस कप्तान से गुहार कर मामले से अवगत कराया। जिसके बाद वहां पुलिस पहुंची और समतलीकरण का काम रोक दिया। लेकिन राजस्व कर्मी नहीं पहुंचे। रविवार की सुबह करीब नौ बजे जमीन खातेदार सिराज अहमद दर्जनभर लोगों के साथ जेसीबी, ट्रैक्टर लेकर वहां पहुंचे। जगतपाल आदि ने रोका तो दोनों पक्षों में संघर्ष शुरू हो गया है। दोनों तरफ से फाय¨रग हुई। पूर्व प्रधान सिराज अहमद के भाई इसरार अहमद व पुत्र इरफान को गोली लगी। वहीं दूसरे पक्ष से गर्भवती कमला देवी को भी गोली लगी। जिनका इलाज आज भी लखनऊ में चल रहा है। घटना के बाद एसडीएम व सीओ राजस्वकर्मी समेत कई थानों की पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे। तत्काल विवादित भूमि की पैमाइश की गई। यदि प्रशासन पहले ही सक्रिय होता तो यह घटना न होती। घटना के तीसरे दिन भी गांव में पुलिस बल तैनात है। फिलहाल पैमाइश में जमीन सिराज आदि की निकाली है। जिसे चिन्हित कर दिया गया है। वहीं शीला की तहरीर पर पुलिस आठ नामजद सहित 20 अन्य व गुड्डू की तहरीर पर छह नामजद कर प्राणघातक हमले का मामला दर्ज किया गया है।