राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि माना था शहीद-ए-आजम ने
सुलतानपुर : शहीद-ए-आजम भगत ¨सह ने राष्ट्रधर्म को सभी धर्मों से ऊंचा माना था। सिख होने के बावजूद उन्ह
सुलतानपुर : शहीद-ए-आजम भगत ¨सह ने राष्ट्रधर्म को सभी धर्मों से ऊंचा माना था। सिख होने के बावजूद उन्होंने जरूरत पड़ने पर अपने बाल तक कटवा लिए थे। शहीदों में उनका नाम सर्वोपरि है। ये कहना है कि आजाद समाज सेवा समिति के सचिव दिलीप ¨सह का। वे मंगलवार को भगत ¨सह की जयंती पर जिला पंचायत परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि को संबोधित कर रहे थे।
सुबह होते ही शहर की सड़कें देशभक्ति के नारों से गूंज उठीं। आजाद समाज सेवा समिति के बैनर तले निकाली गई प्रभातफेरी में समिति कार्यकर्ताओं ने शहीद-ए-आजम अमर रहें के नारे लगाए। शहर के सुभाष पार्क, आजाद पार्क, विकास भवन आदि स्थानों पर स्थापित क्रांतिकारियों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण के बाद कार्यकर्ता जिला पंचायत पहुंचे। जहां पर समिति अध्यक्ष अशोक ¨सह के संयोजन में श्रद्धांजलि सभा हुई। जिसमें उन्होंने बताया कि भगत ¨सह का जन्म एक क्रांतिकारी परिवार में हुआ था। उन्हें बचपन से ही भारत माता को गुलामी के जंजीरों से मुक्त कराने की प्रेरणा मिली। शहीद-ए-आजम के क्रांतिकारी जीवन व संसद बम कांड का मकसद ¨हसा या किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि देश की जनता को आजादी के लिए जगाना था। संस्था उपाध्यक्ष डॉ.आशुतोष, निजाम मास्टर आदि ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। मो.अहमद, विजय यादव, रामचंद्र वर्मा, आरिफ, युनुस सभासद, अब्दुल मन्नान, राजनारायण ¨सह, दिलीप निषाद, जेपी ¨सह आदि मौजूद रहे। वहीं एसएफआइ व जनवादी नौजवान सभा ने भगत ¨सह के जन्मदिन पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण के उपरांत संगोष्ठी की। जिलाध्यक्ष विवेक पांडेय की अध्यक्षता में सभा के जिलासचिव शशांक पांडेय ने कहाकि मात्र 23 वर्ष की अल्प आयु में उन्होंने देश की एकता-अखंडता के लिए जीवन बलिदान कर दिया। जिलाध्यक्ष पांडेय ने कहाकि भगत ¨सह व्यक्ति नहीं विचार थे। वे हमेशा कहते थे कि बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते। क्रांति विचारों के शान पर तेज होते हैं। संगोष्ठी को आरके मिश्र, अवधेश, उत्कर्ष शुक्ला, अखंड प्रताप, अंकित दुबे, अंजली शर्मा आदि ने संबोधित किया।