गंदगी में पट गए 25 करोड़ रुपये, उम्मीदें धराशाई
सुलतानपुर : दो साल पूर्व गांधी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झाड़ू उठाकर स्वच्छता का संदेश दि
सुलतानपुर : दो साल पूर्व गांधी जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झाड़ू उठाकर स्वच्छता का संदेश दिया था। इसी के बाद स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत नाम से मुहिम शुरू कर पीएम के मिशन को केंद्र सरकार ने आगे बढ़ाया गया। राज्य सरकार ने अभियान को प्राथमिकता पर लेकर कार्ययोजना बनाई। नगर व ग्रामीणांचलों में योजनाओं का क्रियांवयन कराने के लिए दो वर्षों में करीब 25 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। पर मकसद सार्थक नहीं हुआ। दिलचस्प यह भी है कि अफसरों के साथ एक राजनीतिक दल व सामाजिक संगठनों के लोगों ने अभियान को हाथोंहाथ लिया। फोटो ¨खचाई और अखबारों की सुर्खियां बने। पर यह सब चंद दिनों बाद ठप हो गया। असलियत तो यह है कि धनराशि से सबसे ज्यादा शौचालय बनाए गए मगर अधिकांश निष्प्रयोज्य ही साबित हुए।
काम नहीं, केवल नाम के स्वच्छता दूत
पंचायतीराज विभाग ने स्वच्छता अभियान के साथ लोगों को जोड़ने के लिए गांवों में 69 स्वच्छता दूत नियुक्त किया। उन्हें पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिलाकर मिशन को पूरा कराने का निर्देश दिया गया। पर ये दूत सिर्फ नाम के रह गए। विभाग के जिला कंसलटेंट अभिषेक ¨सह के मुताबिक अब तक 13 गांव खुले में शौचमुक्त हो गए हैं। इनमें एक गांव रिहायकपुर स्वच्छता दूत के प्रयास से ओडीएफ हुआ।
कचरा निस्तारण का नहीं लगा प्लांट
नगर पालिका और नगर पंचायतों में कूड़ा उठान और कचरा निस्तारण व्यवस्था बेपटरी है। नगर पालिका में तो कचरा निस्तारण के लिए प्लांट लगाने के लिए भूमि चिह्नित की गई। इसके बावजूद भी धरातल पर प्लांट नहीं लग पाया।
सफाईकर्मियों की फौज कर रही मौज
जिले में 986 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें राजस्व गांवों के सापेक्ष करीब 1700 सफाई कर्मियों की नियुक्ति की गई है। इनमें अधिकांश सफाई कर्मचारी गांवों में झाड़ू लगाते ही नहीं। कई कर्मियों ने विभागीय अधिकारी की सांठगांठ से कार्यालयों में नियुक्ति करा ली है। मनचाही तैनाती के खेल की जानकारी जिले के आलाधिकारियों को भी है। पर वे इसे मौन संरक्षण दे रहे हैं।