कृषि विभाग व डीआरडीए में गड़बड़झाला
सुलतानपुर : सरकारी विभागों में क्या कुछ गड़बड़ चल रहा है ? यही जांचने जिलाधिकारी विकास भवन जा पहुंचे।
सुलतानपुर : सरकारी विभागों में क्या कुछ गड़बड़ चल रहा है ? यही जांचने जिलाधिकारी विकास भवन जा पहुंचे। उनके साथ सीडीओ और ज्वाइंट मजिस्ट्रेट भी थे। तीनों अफसरों ने डीआरडीए (ग्राम्य विकास अभिकरण) व कृषि विभाग दफ्तर का सघन मुआयना किया। अफसरों की नाक के नीचे तमाम खामियां मिलीं। इस पर डीएम ने दोनों विभागों के तीन लिपिकों का वेतन रोका, साथ ही डीआरडीए के अभियंता से स्पष्टीकरण तलब किया है।शुक्रवार दोपहर में जिलाधिकारी एस.राज¨लगम, मुख्य विकास अधिकारी रामयज्ञ मिश्र व संयुक्त मजिस्ट्रेट पवन कुमार के साथ विकास भवन पहुंचे। सीधे डीआरडीए कार्यालय गए। प्रभारी पीडी एस.के तिवारी से विभागीय प्रगति पर पूछताछ की। इसके बाद एक-एक पटलों का गहन मुआयना किया। कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका अद्यतन नहीं करने पर स्थापना लिपिक विजय श्रीवास्तव व जीपीएफ (सामान्य भविष्य निधि) का लेखा-जोखा नहीं बनाने पर लिपिक प्रदीप कुमार को चेतावनी दी गई। सांसद निधि के कार्यों का सत्यापन न करने पर अभियंता से जवाब तलब किया गया। कनिष्ठ लिपिक छैलबिहारी, जगदीश भार्गव व चंद्रप्रकाश नदारद मिले। तीनों का वेतन रोकने के आदेश दिया गया।
कृषि विभाग में भी जीपीएफ का विवरण चढ़ाया नहीं गया था। इस पर लिपिक सुभाष ¨सह ने बार-बार सफाई देने की कोशिश की तो उन्हें सीडीओ ने तमीज से बात करने की हिदायत दी। डीएम ने सुभाष को स्पष्टीकरण भी तलब किया है। लिपिक हरिकेश गायब मिला। इस पर जिला कृषि अधिकारी संदीप कुमार से पूछताछ की गई तो वे जवाब नहीं दे पाए। आरटीआइ पटल का आवंटन नहीं करने का डीएओ से कारण पूछा गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जता दी। जाते-जाते जिलाधिकारी ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा, दो घंटे पूर्व मैंने निरीक्षण की सूचना दी थी, फिर भी खामियों के दुरुस्तीकरण पर उदासीन बने रहना ठीक नहीं है।