150 गांवों में नहीं पड़ी विकास की नींव
सुलतानपुर : पर्याप्त धनराशि है। काम करने और कराने वाले भी मौजूद हैं। फिर भी जिले के 150 गांवों में व
सुलतानपुर : पर्याप्त धनराशि है। काम करने और कराने वाले भी मौजूद हैं। फिर भी जिले के 150 गांवों में विकास कार्यों की नींव नहीं डाली जा सकी। वैसे तो यह विभागीय की समीक्षा का विषय है। पर, अब तक अफसरों के अध्ययन में कामकाज शुरू न कराने में स्थानीय जनप्रतिनिधियों (ग्राम प्रधान) व अधिकारियों (ग्राम पंचायत सचिव) की बेरुखी प्रकाश में आई है। इस पर श्रम एवं रोजगार विभाग ने बीडीओ को नोटिस भेजा है।
जिले में पहले कुल 805 ग्राम पंचायतें थीं। परिसीमन के बाद यह संख्या 986 पहुंच गई। निर्वाचन हुआ तो इतने ही ग्राम प्रधान भी हुए। नव सृजित ग्राम पंचायतों व पुरानी ग्राम पंचायतों में कार्य शुरू कराने के लिए खातों में धनराशि भेजी गई। काम कैसे कराना है? इसका जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षण भी दिया गया। अधिकांश प्रधान व सचिवों ने रुचि ली, काम भी शुरू कराया। पर, 150 ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधि व अधिकारी तमाम हिदायतों के बाद भी नहीं सुधरे। इनमें कई गांवों से एक भी कार्ययोजना विभाग को नहीं भेजी गई। महीने-दर-महीने बीत गए। अब श्रम एवं रोजगार विभाग सक्रिय हुआ। उपायुक्त ने सभी 14 ब्लाकों के बीडीओ को नोटिस भेजकर काम क्यों नहीं शुरू हुआ? इस पर जवाब मांगा है। साथ ही वहां के ग्राम प्रधान व सचिवों की जिलामुख्यालय पर बैठक आहूत करने की कवायद शुरू कर दी गई है।
टीए का समान कार्य विभाजन भी वजह :उपायुक्त एसके तिवारी कहते हैं कि ब्लाकों में कार्ययोजना बनाने का काम कर रहे टीए यानी तकनीकि सहायकों की गुजरे महीने मनमानी चल रही थी। इसकी जानकारी हुई तो सभी टीए में बराबर-बराबर गांवों का बंटवारा कर दिया। ऐसे में कई तकनीकी सहायकों को दूसरे गांवों का चार्ज मिला तो कई के हिस्से से पुराने गांव कट गए। ऐसे में प्रधान व सचिवों की उनसे सांठ-गांठ नहीं बन पा रही है। विभाग ऐसे टीए की पहचान कर नकेल कसने की तैयारी कर रहा है।