कोशिशें होने लगीं साकार, होने लगा जीर्णोद्धार
सुलतानपुर : मैं अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर, लोग आते गए कारवां बनता गया। लक्ष्य अगर सदमार्गी ह
सुलतानपुर : मैं अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर, लोग आते गए कारवां बनता गया। लक्ष्य अगर सदमार्गी हो तो सफलता निश्चित मिलती है। जागरण का सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने का यह अनूठा प्रयास है। प्रकृति प्रदत्त संसाधनों को जीवंत बनाने का जिजीविषा भरा संकल्प भी। हां समाज इससे लाभान्वित होता, ऐसे में लोगों ने इसे हाथोंहाथ लिया। कहीं सरकारी संसाधनों ने हाथ मिलाया तो कहीं स्वंय सेवकों ने। सामाजिक संगठन भी साथ आए। तालाबों की सूची प्रशासन ने बताई। कितने अतिक्रमण के बीच कराह रहे हैं और कितने पानी बिन सूने हैं। इसके बाद शुरू हुआ जीर्णोद्धार। रफ्ता-रफ्ता अब सबकुछ पटरी पर है। तालाब चिन्हित हैं, उनमें तेजी से काम शुरू है। हां मंगलवार को विकास विभाग की ओर से चौदह ब्लाकों में चिट्ठी भी भेज दी गई। जिसमें खंड विकास अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर तालाबों के संबंध में स्थानीय कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए।
तालाबों को लेकर जागरण का शुरू हुआ अभियान सफलता के सोपान पर चढ़ता जा रहा है। जिले में 885 तालाबों में मनरेगा के तहत जीर्णोद्धार के लिए चुना गया, जबकि 873 तालाबों की खोदाई का काम पूरा करने का दावा जिम्मेदार महकमे की ओर से किया जा रहा है। शेष बारह तालाबों के लिए कार्य योजना के अनुसार काम शुरू हो चुका है। वहीं अस्तित्व खोते जा रहे गांव-गिरांव के धार्मिक महत्व रखने वाले जलाशयों के जीर्णोद्धार पर प्रशासन की खामोशी को तोड़ने का काम किया जागरण ने। तालाबों की तलाश अभियान पर प्रशासन जागा। और अब शुरू हो गई है इनके संरक्षण की कवायद। मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर विकास विभाग ने ब्लाकवार तालाब संरक्षण एवं जलसंचयन के लिए गोष्ठी के आयोजन की समयसारिणी तय कर दी है। जिसमें जनप्रतिनिधियों की भी भागीदारी होगी।
ब्लाकवार होंगी संगोष्ठियां
27 मई-बल्दीराय, भदैयां, अखंडनगर व धनपतगंज।
28 मई-कादीपुर, करौंदीकला, दोस्तपुर व कूरेभार।
30 मई-प्रतापपुर कमैचा, लम्भुआ व मोतिगरपुर।
31 मई-दूबेपुर, जय¨सहपुर व कुड़वार।
हनुमानगंज में तालाब के जीर्णोद्धार में जुटे लोग
जलाशयों को बचाने की जो मुहिम दैनिक जागरण ने शुरू की वो अब परवान चढ़ रही है। बुधवार को भदैयां ब्लाक के हनुमानगंज में जागरण टीम द्वारा गोद लिए गए तालाब के जीर्णोद्धार में फावड़ा चलाने के लिए दर्जनों ग्रामीण जुटे। लोगों ने श्रमदान किया। तालाब के वजूद को कायम रखने और इसे संवारने के लिए जिससे भी जो बन पड़ रहा है, वो कर रहा है। किसी ने तालाब के किनारों को साफ किया, मेड़ ऊंची की तो किसी ने मिट्टी निकाली। यह सिलसिला जारी है।