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बीईओ ने दिया था 'पैरवी' के लिए अवकाश

विक्रम बृजेंद्र ¨सह, सुलतानपुर बीएसए कहते हैं कि प्रशिक्षण काल में शिक्षकों को अवकाश नहीं मिल सकता

By Edited By: Published: Wed, 26 Aug 2015 10:03 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2015 10:03 PM (IST)
बीईओ ने दिया था 'पैरवी' के लिए अवकाश

विक्रम बृजेंद्र ¨सह, सुलतानपुर

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बीएसए कहते हैं कि प्रशिक्षण काल में शिक्षकों को अवकाश नहीं मिल सकता, लेकिन बर्खास्त प्रशिक्षु शिक्षक शिवकुमार पाठक को उन्हीं के मातहत खंड शिक्षा अधिकारी ने अदालत में मुकदमे की पैरवी के लिए अवकाश प्रदान किया था। कागजात इसकी गवाही दे रहे हैं। जिम्मेदार भी स्वीकार कर रहे हैं। बेसिक स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता की बहाली के लिए उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर करने वाले पाठक को गत जनवरी माह में बतौर प्रशिक्षु शिक्षक जिले के लंभुआ विकास खंड स्थित जमखुरी प्राथमिक विद्यालय में प्रशिक्षण के लिए तैनाती मिली थी। वे मई माह से ब्लॉक संसाधन केंद्र पर सैद्धांतिक प्रशिक्षण ले रहे थे। बीएसए ने गत 17 अगस्त को जारी आदेश में उन्हें 12 दिन प्रशिक्षण से अनुपस्थित दिखाकर बर्खास्त कर दिया। आरोपपत्र में उन्होंने 22, 25, 26 मई व 6, 14, 15 व 16 जुलाई को अनुपस्थित दर्शाया है, जबकि अधिकांश तिथियों में पाठक ने बाकायदा लम्भुआ के खंड शिक्षा अधिकारी एसबी ¨सह से इस संदर्भ में प्रार्थनापत्र देकर अवकाश लिया था। अभिलेख इसकी तस्दीक कर रहे हैं।

21 मई के प्रार्थनापत्र में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में योजित याचिका संख्या 57476 का जिक्र करते हुए 22 मई को पैरवी के लिए अवकाश मांगा गया है। 23 मई को याचिका संख्या 57476 शिवकुमार पाठक बनाम उत्तर प्रदेश एवं अन्य का जिक्र करते हुए 25 व 26 ई को पैरवी के लिए दो दिन का अवकाश मांगा था। चार जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय की अपील संख्या 4347-75 की पैरवी के लिए 6 जुलाई को व अपरिहार्य कारणों से 14 से 16 जुलाई तक तीन दिन का अवकाश मांगा गया था। जिसे खंड शिक्षा अधिकारी एसबी ¨सह ने हस्ताक्षर करके मंजूरी दी थी। बावजूद इसके उन्हें बीएसए ने गैरहाजिर बताते हुए बर्खास्त कर दिया।

मैंने दी थी अनुमति

लम्भुआ के खंड शिक्षा अधिकारी एसबी ¨सह स्वयं तस्दीक करते हैं कि उन्होंने शिवकुमार पाठक को उनके प्रार्थनापत्रों पर अदालतों में पैरवी के लिए अवकाश की अनुमति दी थी। हालांकि वे घटनाक्रम के हाईप्रोफाइल हो जाने की वजह से अब इससे इतर कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं। बर्खास्तगी के उच्चाधिकारी के आदेश पर उन्होंने मौन साध लिया।


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