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देखिए डीएम साहिबा ! बाहरी लोग जांच रहे सरकारी दस्तावेज

सुल्तानपुर : कलेक्ट्रेट परिसर के दफ्तरों में रखे दस्तावेजों पर खतरा मंडरा रहा है। भले ही अफसरों को इ

By Edited By: Published: Sun, 26 Apr 2015 09:21 PM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2015 09:21 PM (IST)
देखिए डीएम साहिबा ! बाहरी लोग जांच रहे सरकारी दस्तावेज

सुल्तानपुर : कलेक्ट्रेट परिसर के दफ्तरों में रखे दस्तावेजों पर खतरा मंडरा रहा है। भले ही अफसरों को इसकी भनक न हो पर, बाहरी लोग उनके कार्यालयों में फाइलों को जांच परख रहे हैं। रविवार को सिटी मजिस्ट्रेट के न्यायालय कक्ष में गोपनीयता का मखौल उड़ता दिखा। प्रकरण पर सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि पेशकार और अहलमद की जिम्मेदारी होती है। यदि वो लोग वहां नहीं थे, जांच की जाएगी और कड़ी कार्रवाई होगी।

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रविवार को आपदा प्रबंधन की हकीकत जानने जागरण टीम जब कलेक्ट्रेट परिसर में दाखिल हुई तो चौंकाने वाला नजारा दिखा। सिटी मजिस्ट्रेट न्यायालय कक्ष में दो बाहरी लोग फाइलों को खंगाल रहे थे। उनसे जब नाम पूछा गया तो एक ने सुरेश मुंशी बताया तो दूसरे ने जितेद्र मिश्रा। जब उनसे उनका पदनाम पूछा गया तो वे बोले कि वे प्राइवेट कर्मचारी हैं। कैमरे का फ्लैश चमका तो वहीं खड़ा एक युवक फाइलों को आलमारी में रखने लगा। ऐसे में सवाल उठता है कि तमाम मुकदमों के कागजात बिना किसी जिम्मेदार के किसके सहारे छोड़ दिए गए। किस व्यक्ति ने कार्यालय की चाभी और अंदर की आलमारियों की चाभी इन निजी कर्मचारियों को सौंप दी। इस बाबत सिटी मजिस्ट्रेट रामविलास से जब पूछा गया कि आपके न्यायालय में कौन-कौन तैनात है तो उनका कहना था कि हमारा पेशकार पवन सिंह और अहलमद का नाम नवीन वर्मा है। चूंकि रविवार छुट्टी के दिन भी शांतिभंग जैसे मामलों के अभियुक्त अदालत लाए जाते हैं। ऐसे में कार्यालय खुलना कोई गलत बात नहीं है। पर, वहां जिम्मेदारों का रहना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं रहा होगा तो जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पलभर में बंद हुई आलमारी और फुर्र हुए निजी कर्मी

यह अजीबोगरीब दृश्य था। जिस चौखट को लोग न्याय का मंदिर मानते हैं। वहां का काम अंजान लोगों के हाथ में दिखा। कैमरे का फ्लैश चमका तो इत्तमिनान से फाइलें देख रहा युवक सकते में आया और पांच मिनट के अंदर ही आलमारी में फाइलें रखकर कक्ष में ताला लगाकर वे गायब हो गए।

पेशकार बोले, हम बाथरूम गए थे

सिटी मजिस्ट्रेट के पेशकार पवन सिंह से जब पूछा गया कि रविवार दोपहर कार्यालय में कौन जिम्मेदार था। उन्होंने कहा कि मै बाथरूम गया था और दो लोग परिचित थे। उन्हें बैठा गए थे। जब उनसे पूछा गया कि आखिर बाहरी लोग फाइलों से कैसे छेड़खानी कर रहे थे तो वे बोले रुकिए मैं आपके आफिस आ रहा हूं।

क्या कर रहे हैं सीसी कैमरे

कचहरी परिसर में सीसी कैमरे लगे हुए हैं। जिलाधिकारी दफ्तर में विभिन्न अफसरों के कार्यालयों की गतिविधियां दिखती रहती हैं। ऐसे में बाहरी लोग फाइलों को कैसे उठा और रख रहे हैं। इस पर भी नजरें जिम्मेदारों की रहती ही होंगी। पर, अचरज की बात है कि गोपनीय दफ्तरों में निजी लोग फाइलों को छेड़ रहे हैं और अफसर कैसे न जान पाएं। सवाल यह भी उठता है कि या तो अफसरों को उनके कर्मचारियों की ही पहचान ही नहीं है या फिर निजी लोगों का काकश इतना मजबूत है कि अफसर भी सब जानकर अंजान हैं।


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