अध्यक्ष-सचिव को क्लीनचिट, फुस्स हुए भ्रष्टाचार के आरोप
सुल्तानपुर : अधिवक्ता संघ की धनराशि में गबन के आरोप पांच महीने बाद निराधार पाए गए। अधिवक्ता संघ की द
सुल्तानपुर : अधिवक्ता संघ की धनराशि में गबन के आरोप पांच महीने बाद निराधार पाए गए। अधिवक्ता संघ की दीवानी न्यायालय परिसर में हुई बैठक में मंगलवार को गोपनीय सत्यापन रिपोर्ट पेश की गई तो निर्वतमान अध्यक्ष व सचिव को क्लीनचिट मिल गई। हालांकि गहमागहमी वाली बैठक में भ्रामक जांच करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए।
साढ़े पांच लाख के घोटाले की सत्यता जानने के लिए संघ की बैठक में बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद थे। शुरूआत में ही पूर्व अध्यक्ष प्रेमनाथ पांडेय ने सत्यापन कमेटी के बारे में बताने की बात कही। तब पता चला कि सतीशचंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में अयूब उल्ला खां, पूर्व सचिव रणजीत सिंह त्रिसुंडी, विजय मिश्रा सहित पांच अधिवक्ताओं ने आरोपों की जांच की। रणजीत सिंह ने करीब 45 मिनट तक सोलह पृष्ठों वाली सत्यापन रिपोर्ट पढ़ी तो दो सदस्यों की जांच व आरोप निराधार पाए गए। स्पष्ट हो गया कि अधिवक्ता संघ की धनराशि में एक भी पैसे का गबन नहीं हुआ है। इसके लिए सत्यापन आख्या में अभिलेख व बिल बाउचर का विवरण भी दिया गया है। भ्रष्टाचार के आरोप गलत पाए जाने पर अधिवक्ताओं राम विशाल तिवारी, करुणाशंकर द्विवेदी, नरोत्तम शुक्ला, नागेंद्र सिंह, संदीप सिंह, शिशिर सिंह सहित दर्जनों लोगों ने अपने विचार रखे। कुछ ने कहाकि गलत जांच करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए तो कइयों ने पांच महीने से चल रहे वितंडावाद को समाप्त किए जाने की बात कही। सभा का संचालन सचिव विजय कुमार श्रीवास्तव ने किया। अध्यक्ष ने सबके समक्ष घोषित किया कि निवर्तमान दोनों अध्यक्ष व सचिवों पर कोई आरोप नहीं साबित हुआ।
क्या है मामला
जुलाई माह में हुई अधिवक्ता संघ की वार्षिक साधारण सभा में निवर्तमान सचिव राजेश बाजपेई ने आय-व्यय का लेखाजोखा प्रस्तुत किया तो सदस्यों ने तमाम खामियां निकाली और संघ के पैसे में हेराफेरी का आरोप लगाया गया। तब अध्यक्ष रामशंकर पांडेय ने आरोपों की जांच के लिए कृपाशंकर सिंह व प्रेमशंकर शुक्ल की समिति गठित कर दी। दोनों की जांच रिपोर्ट में करीब साढ़े पांच लाख रुपये का घपला व सचिव बाजपेई को जिम्मेदार बताया गया। साथ ही वर्ष 2012-13 के अध्यक्ष राय साहब सिंह व सचिव जय प्रकाश सिंह के कार्यकाल में भी घोटाले की बात कही गई थी। इतने बड़े घोटाले की बात उठी तो वकीलों में हड़कंप मच गया। गड़बड़ी के जिम्मदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठी। इस बीच निवर्तमान अध्यक्ष सुरेंद्र पांडेय ने लेखा-जोखा की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया और सचिव राजेश बाजपेई ने अपने स्पष्टीकरण में सभी आरोपों को झूठा तथा अनुमानों पर आधारित बताया। मामले में अध्यक्ष ने पहले गोपनीय सत्यापन कराने फिर कार्रवाई करने की बात कही। अभी गोपनीय सत्यापन चल ही रहा था कि अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कार्रवाई न होने की बात कहकर अनशन पर बैठने की घोषणा कर दी। फिर सत्यापन रिपोर्ट सदस्यों के सामने पेश करने की तिथि नियत कर दी गई।