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लेखपाल पर गुमराह का आरोप

सुल्तानपुर: कस्बे से करीब चार किलोमीटर दूर तहसील भवन के प्रस्ताव पर वकीलों ने आक्रोश जताया है। शुक्र

By Edited By: Published: Fri, 21 Nov 2014 09:31 PM (IST)Updated: Fri, 21 Nov 2014 09:31 PM (IST)
लेखपाल पर गुमराह का आरोप

सुल्तानपुर: कस्बे से करीब चार किलोमीटर दूर तहसील भवन के प्रस्ताव पर वकीलों ने आक्रोश जताया है। शुक्रवार को वकील न्यायिक कार्य से विरत रहे। हंगामी बैठक के बाद अधिवक्ताओं ने एसडीएम से मिलकर सरकारी प्रस्ताव का विरोध किया। कहाकि कस्बे के अगल-बगल के अलावा उन्हें दूरस्थ गांव में तहसील भवन कत्तई मंजूर नहीं है। वकीलों ने सदर लेखपाल पर अफसरों को गुमराह करने का आरोप लगाया है।

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मालूम हो कि बीते दिनों जिलाधिकारी अदिति सिंह की सख्ती के बाद तहसील भवन के स्थानीय प्रशासन फिर हरकत में आया। तहसील मुख्यालय से दूर कई गांवों में जमीन तलाशने के बाद अफसरों ने लम्भुआ-दुर्गापुर मार्ग पर स्थित परसरामपुर की भूमि का प्रस्ताव तहसील भवन के लिए कर दिया। लम्भुआ-दुर्गापुर मार्ग से भी 500 मीटर दूर भूखंड संख्या 405 क्षेत्रफल 1.800 हेक्टेयर भूमि चारागाह के लिए आरक्षित की गई थी। भूमि प्रबंधक समिति के प्रस्ताव पर सहमति जताते हुए एसडीएम के आदेश पर जनहित का हवाला देते हुए नवीन परती के खाते में दर्ज कर दिया गया। इसके समतुल्य भूमि गाटा संख्या 34 मि., 164 मि., 395 मि. तथा कृषि योग्य बंजर भूमि गाटा संख्या 421, 308, 216 ग तथा हिरावनपुर की ऊसर खाते में दर्ज गाटा संख्या 73ग को चारागाह के लिए आरक्षित खाते में तरमीम कर दिया गया। स्थानीय अधिकारियों के इस प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए जिलाधिकारी ने भी परसरामपुर की उक्त भूमि को तहसील भवन के लिए पुनर्ग्रहीत कर दिया। अफसरों की इस कार्रवाई की जानकारी अधिवक्ताओं को हुई तो शुक्रवार की सुबह ही मुद्दे पर तहसीलदार व उपजिलाधिकारी की अदालत के बहिष्कार का निर्णय ले लिया। बाद में स्थानीय बार एसोसिएशन की बैठक में परसरामपुर में तहसील भवन के प्रस्ताव पर असहमति जताते हुए विरोध का निर्णय लिया गया। अधिवक्ताओं ने एसडीएम से कहाकि उन्हें कस्बे से बाहर तहसील भवन कत्तई स्वीकार नहीं है। अधिवक्ताओं ने कहाकि लम्भुआ कस्बे में नवीन परती खाते में तहसील भवन के लिए पर्याप्त जमीन है। स्थानीय लेखपाल अफसरों को गुमराह कर रहा है। उसे हटाया जाए। इस मौके पर अध्यक्ष राधेश्याम यादव, सचिव मानिकलाल भास्कर, शिवसरन लाल श्रीवास्तव, राजमणि दूबे, देवेंद्र पांडेय, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, शेर बहादुर सिंह, अर्जुन चौरसिया, सुरेंद्रनाथ शुक्ल आदि मौजूद रहे।


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