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मनमानी करने वाले शिक्षकों को करें दंडित : मंत्री

सुल्तानपुर : शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो कमियां हैं, उसे हरहाल में दूर

By Edited By: Published: Thu, 30 Oct 2014 10:04 PM (IST)Updated: Thu, 30 Oct 2014 10:04 PM (IST)
मनमानी करने वाले शिक्षकों को करें दंडित : मंत्री

सुल्तानपुर : शिक्षा की गुणवत्ता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो कमियां हैं, उसे हरहाल में दूर किया जाए। पढ़ाने में मनमानी करने वालों को दंडित करें। यह निर्देश सूबे के माध्यमिक शिक्षा व जिले के प्रभारी मंत्री विजय बहादुर पाल ने जिला विद्यालय निरीक्षक को दिए। वे गुरुवार को शहर के विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता परख रहे थे।

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माध्यमिक शिक्षा मंत्री सुबह करीब 11:20 बजे शहर के केशकुमारी राजकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहुंचे। तुरंत ही डीआइओएस अनूप कुमार व विद्यालय की प्रधानाचार्य पूनम प्रियदर्शी के साथ इंटर की छात्राओं से मुखातिब हुए और प्रश्न पर प्रश्न पूछते गए। कक्षा में जब एक भी छात्रा मंत्री के प्रश्नों का जवाब देने में सफल न हुई तो मंत्री ने विषय अध्यापिका को तलब किया। उनसे भी सवाल किया पर अध्यापिका भी संतुष्ट जवाब न दे सकीं। तो खीझकर प्रधानाचार्या से बोले, आपके विद्यालय में पढ़ाने व पढ़ने दोनों का नियम गलत है। हमें समय नहीं है, वरना दस मिनट में सब कुछ बच्चों को रटा देता। कुछ पल शांत हुए.फिर पूछे, आखिर ये सुधार कब तक होगा? प्रधानाचार्य बोल पड़ीं..सर अभी दो महीने हुआ हमें चार्ज लिए। कोशिश है जल्दी ही सब ठीक कर लूंगी। इतना सुनते ही मंत्रीजी तपाक से बोले, यह एक दिन की कमी नहीं है, जो कमियां हैं उसे जल्द सुधारिये। डीआइओएस की ओर देखकर बोले, जो शिक्षक मनमानी करे उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसके बाद प्रभारी मंत्री राजकीय इंटर कालेज पहुंचे। कार से उतरे.सीधे ग्यारहवीं कक्षा में जा पहुंचे। यहां भी छात्रों से सीधा संवाद किया। मूल अधिकार, मूल कर्तव्य और अंग्रेजी के कुछ प्रश्न छात्रों से पूछे। यहां के छात्रों की स्थिति भी कमोवेश केशकुमारी जैसी रही। सिर्फ एक प्रश्न को छोड़ किसी अन्य का जवाब देने में छात्र असफल रहे। पढ़ाई की स्थिति देख मंत्रीजी झुंझलाए और प्रधानाचार्य जेपी यादव को तलब किया। मसल के अंदाज में बोले, घोड़े को जबरदस्ती तालाब पर ले जाया जा सकता है, लेकिन उसे जबरन पानी नहीं पिलाया जा सकता। उनका यह वाक्य शिक्षा की गुणवत्ता की ओर इशारा कर रहा था। अध्यापकों को सलाह देते हुए वे बोले कम पढ़ाएं, लेकिन ठीक ढंग से। इतना कहकर मंत्री जी कार में बैठे और आगे बढ़ गए।


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