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सील तोड़ बर्फ कारखाने की फिर जांच

सुल्तानपुर : शहर के बीचोबीच चल रहे बर्फ कारखाने में अमोनिया रिसाव घटना के चौथे दिन बुधवार को सील तोड़

By Edited By: Published: Wed, 29 Oct 2014 09:14 PM (IST)Updated: Wed, 29 Oct 2014 09:14 PM (IST)
सील तोड़ बर्फ कारखाने की फिर जांच

सुल्तानपुर : शहर के बीचोबीच चल रहे बर्फ कारखाने में अमोनिया रिसाव घटना के चौथे दिन बुधवार को सील तोड़कर जांच हुई। लखनऊ व फैजाबाद से अधिकारियों का दल, स्थानीय एसडीएम व पुलिस अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचा। फिर बाकायदा एक-एक कमरे की जांच हुई। तमाम कमियां एक बार फिर से अधिकारियों के सामने आई। जिला प्रशासन ने श्रम व कारखाना विभाग को संयुक्त रिपोर्ट भेजकर मुकदमा दर्ज कराने की बात कही है। जांच के बाद कारखाने को फिर से सील कर दिया है।

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शहर के बाधमंडी इलाके में पुरानी चिकमंडी के निकट स्थित बर्फ के कारखाने पर अपराह्न करीब डेढ़ बजे जांच दल पहुंचा। प्रशासन द्वारा पहले से लगाई गई सील को तोड़ने के बाद दल के सदस्य कारखाने में गए। वहां लगाई गई मशीनों सहित चप्पे-चप्पे की जांच की गई। जांच के दौरान संयुक्त टीम के सदस्यों को भी कई खामियां मिलीं। उपनिदेशक कारखाना एसके चंदेल, सहायक निदेशक कारखाना डीके गुप्ता ने एसडीएम सदर अमित सिंह से प्रकरण में हरेक पहलू पर जानकारी ली। उन्होंने श्रम व कारखाना विभाग को रिपोर्ट भेजने व प्रकरण के संबंध में मुकदमा दर्ज के निर्देश प्रशासन को दिए। अधिकारियों ने बर्फ कारखाने के लिए दिए गए विद्युत कनेक्शन व भार की जांच कराने के भी आदेश दिए। करीब एक घंटे के सघन निरीक्षण के बाद अधिकारी निकले तो कारखाने को फिर से सील कर दिया गया। इस दौरान जांच दल ने बगल में स्थित एक आइसक्रीम की दुकान पर भी जांच-पड़ताल की। जिसके संचालक को बुलाकर अधिकारियों ने दुकान संचालित करने के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के निर्देश दिए। जांच दल में जिला श्रम प्रवर्तन अधिकारी जेपी शुक्ला, रामवृक्ष व शाहगंज चौकी प्रभारी एसपी सिंह आदि शामिल रहे। बताते चलें कि रविवार को इसी कारखाने से अमोनिया गैस के रिसाव से इलाके में हड़कंप मच गया था। संचालक जलालुद्दीन उर्फ लल्लू सहित तीन उसकी चपेट में आकर जख्मी हो गए थे। जब मामला गंभीर हुआ तो प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कारखाना सील कर उच्चाधिकारियों को जांच के लिए लिखा था।

इनसेट..: हमाम में सभी ..

सुल्तानपुर : जिला प्रशासन भले ही बैठकों में अधिकारियों के बीच बैठ अपनी पीठ थपथपाए, पर असलियत बेहद जुदा है। कोई बड़ा मामला जब भी खुलता है तो पूरी व्यवस्था में हमाम में..दिखती है। बाधमंडी पर जब निर्माणाधीन कांप्लेक्स की मिट्टी धंसी थी और दो मजदूर मरे थे। तब उससे जुड़ा हर विभाग झूठा साबित हुआ था। किसी की एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) भवन निर्माता के पास नहीं था। सबकुछ पैसा देकर मैनेज था। यही अधिकारी तब भी थे, एकाध भले बदले हों। इसी इलाके में कुछ महीनों बाद ही फिर एक बार बड़ी घटना होते-होते बची। 24 अक्टूबर को अमोनिया गैस का आबादी के भीतर रिसाव हुआ तो लोगों की नजर बर्फ फैक्ट्री पर गई। अधिकारी इज्जत बचाने फिर जा पहुंचे। फैक्ट्री सील हुई। चार दिन बाद लखनऊ और फैजाबाद के जब अफसर पहुंचे तो वे दंग रह गए। अंदर कमरे में उन्हें एहसास हुआ कि कोई रहता है। जबकि यह फैक्ट्री पहले से ही सील थी। जब बाहर से अधिकारियों ने यहां के अफसरान से फैक्ट्री को मिले प्रमाणपत्रों के बारे में जांचना शुरू किया तो वे हक्के-बक्के रह गए। उन्हें कुछ भी पटरी पर नहीं मिला। मौके पर मौजूद अफसर भी एक-दूसरे का मुंह ताकते रहे। दरअसल, हकीकत तो यही है कि इन्हीं अफसरों के दम पर ऐसे कारखाने के आबादी के भीतर फलते-फूलते रहते हैं। उनसे साहबों की मोटी कमाई होती है। एकाध मामले घटना-दुर्घटना में जब खुलते हैं तो छोटे अधिकारियों की गर्दन दबा साहब लोग बच जाते हैं और व्यवस्था बेपटरी पड़ी रहती है।


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