Move to Jagran APP

मां जालपा देवी मंदिर पहुंचने के लिए एक अदद रास्ता नहीं

-शुक्रवार व सोमवार को होता है भक्तों का जमावड़ा संवादसूत्र, बल्दीराय : जिले के प्राचीनतम मंदिरों म

By Edited By: Published: Sun, 26 Oct 2014 09:10 PM (IST)Updated: Sun, 26 Oct 2014 09:10 PM (IST)
मां जालपा देवी मंदिर पहुंचने के लिए एक अदद रास्ता नहीं

-शुक्रवार व सोमवार को होता है भक्तों का जमावड़ा

loksabha election banner

संवादसूत्र, बल्दीराय : जिले के प्राचीनतम मंदिरों में शुमार जिले के आखिरी छोर पर स्थित तीन सौ वर्ष प्राचीन मां जालपा देवी मंदिर पहुंचने में भक्तों को पसीने छूट जाते हैं। प्रत्येक शुक्रवार व सोमवार को यहां भक्तों का रेला लगता है। जिले ही नहीं वरन अन्य जिलों से भी श्रद्धालु यहां मां के दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन मंदिर पहुंचने के लिए आज तक एक अदद रास्ते तक का निर्माण नहीं हो सका।

क्षेत्र के परसपुर गांव के पूर्वी छोर पर स्थित है मां जालपा देवी का धाम। जो क्षेत्रवासियों के श्रद्धा एवं विश्वास का केंद्र है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यह स्थल लगभग तीन सौ वर्ष पुराना है। यहां एक छोटा सा पीपल का पेड़ था। उसी पर परसपुर गांव के लोग जल चढ़ाया करते थे और उस स्थल को श्रद्धा भाव से देखते थे। करीब सौ वर्ष पूर्व रायबरेली जिले के महाराजगंज तहसील स्टेट के राजा लखन सिंह के पूर्वज यहां आए थे। उन्होंने इस स्थान पर पूजा-अर्चना की। मन्नत पूरी होने पर उन्होंने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर की चहारदीवारी करवाकर मां की प्रतिमा लगवा दी। धीरे-धीरे मां जालपा देवी मंदिर की ख्याति चारों ओर फैलने लगी। ग्रामीणों के मुताबिक सुबह के समय लोग मंदिर में एकत्र होते हैं और पूजन अर्चन करते हैं। शाम के समय लोगों का जमावड़ा होता है और देर रात तक कीर्तन भजन चलता रहता है। नवरात्र में तो यहां प्रतिदिन हजारों लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की ड्योढ़ी पर प्रतिदिन माथा टेकने के लिए परसपुर, वरासिन, सुरेश नगर, गोविंदपुर, मुड़वा, बहुवरा, चंदौर, पूरे पांडेय का पुरवा, सतहरी, लंगड़ी, विसावां, बघौना, खोधवा, रानीपुर, वलीपुर, महमूदपुर, सरैया, रामनगर, ढेबिया, बढ़नपुर, पूरे सुजान सहित दर्जनों गांवों के लोग आते हैं। प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार की तो बात ही कुछ और होती है। अलसुबह से ही भक्तों की कतार जो लगना शुरू होती है वह देर शाम तक जारी रहती है। हलियापुर-कुड़वार मार्ग पर परसपुर मोड़ के पास गेट का निर्माण ग्रामीणों के सहयोग से हो रहा है। जिससे लोगों की दिक्कतें कुछ कम होंगी।

ग्रामीण बोले

रामकृष्ण पांडेय कहते हैं कि मां जालपा धाम पर मां के दर्शन के लिए जिले ही नहीं आसपास के जिलों के लोग आते हैं। मन्नतें पूरी होने पर चढ़ावा चढ़ाने का रिवाज है।

धीरेंद्र कुमार तिवारी कहते हैं कि जो भी यहां श्रद्धा व विश्वास से आता है उसकी झोली कभी खाली नहीं रहती।

अवधेश कुमार कोमल कहते हैं कि सैकड़ों वर्ष से माता का मंदिर क्षेत्रवासियों की श्रद्धा व आस्था का केंद्र है। लेकिन प्रशासन मंदिर की व्यवस्था के विषय में कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

अनंत प्रसाद कहते हैं कि हमारे पूर्वज बताते हैं कि इस स्थान पर आने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

सुशील दूबे बताते हैं कि माता के दर्शन करने से सारे कष्ट अपने आप दूर हो जाते हैं। लेकिन कष्ट इस बात का है कि इतना पुराना मंदिर होने के बावजूद प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। आज तक एक अदद रास्ते तक का निर्माण नहीं हो सका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.