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भाई के माथे पर टीका बनकर दमका बहना का प्यार

सुल्तानपुर : भाई-बहन के अटूट रिश्ते को मजबूती प्रदान करने वाला भैयादूज का पर्व शनिवार को परंपरागत ढं

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 10:00 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 10:00 PM (IST)
भाई के माथे पर टीका बनकर दमका बहना का प्यार

सुल्तानपुर : भाई-बहन के अटूट रिश्ते को मजबूती प्रदान करने वाला भैयादूज का पर्व शनिवार को परंपरागत ढंग से मनाया गया। बहनों ने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर दीर्घायु होने की कामना की।

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यम द्वितिया पर मनाया जाने वाला भाई बहन के स्नेह का पर्व जिले भर में हर्षोल्लास से मनाया गया। सुबह से घर-घर में चौक बनाकर उसमें भटकइया, सुपाड़ी व अन्य पूजन सामग्री के साथ मूसल से सुपाड़ी फोड़ यम देवता का पूजन किया। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक भाई-बहन में बड़ा प्रेम था। उसके बहनोई ने उसे संपत्ति की लालच में फंसा दिया। उसे जज ने फासी की सजा सुनाई। जज ने पूछा कि तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है। जवाब दिया कि मैं अपनी बहन से भैया दूज का टीका लगवाना चाहता हूं। बहनोई सबकुछ जानता था। उसने कुचक्र रचकर उसे जाने से मना करवा दिया। उसने मन ही मन भगवान की पूजा की। भगवान प्रकट हुए और उसे कुत्ते का रूप दे दिया। वह नाली के रास्ते अपनी बहन के पास पहुंचा तो देखा उसकी बहन सिल पर रोचना पीस रही थी। वह उसे चाटने लगा। इतने में बहन ने उसे हाथ से मारा तो वह हाथ उसके मत्थे पर लग गया और वह अमर हो गया। फिर वह उसी रास्ते जेल में पहुंचा। फिर क्या था उसकी सजा माफ हो गई और बदले में बहनोई को जेल हो गई। तभी से भाई-बहन के इस प्रतीक पर्व को भैया दूज के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यम द्वितिया के दिन बहन के घर भोजन व विश्राम करके स्वर्ग की प्राप्ति होती है। टीके उपरांत बहन जहां भाई के लंबी उम्र की कामना करती हैं वहीं भी अपनी बहनों की रक्षा का वचन के साथ उपहार देते हैं। शहर समेत ग्रामीणांचलों में भी भाई बहनों के इस महापर्व की धूम रही।


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