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अफसरों ने पकड़ी गैस की कालाबाजारी, 22 सिलेंडर जब्त

सुल्तानपुर : लंबे समय से चल रही गैस कालाबाजारी आखिरकार रविवार को पकड़ में आ गई। मुखबिर की सूचना पर आप

By Edited By: Published: Sun, 12 Oct 2014 09:05 PM (IST)Updated: Sun, 12 Oct 2014 09:05 PM (IST)
अफसरों ने पकड़ी गैस की कालाबाजारी, 22 सिलेंडर जब्त

सुल्तानपुर : लंबे समय से चल रही गैस कालाबाजारी आखिरकार रविवार को पकड़ में आ गई। मुखबिर की सूचना पर आपूर्ति महकमा के अफसर मौके पर पहुंचे तो वाहन पर लदा सिलेंडर छोड़ ड्राइवर भाग निकला। हालांकि अफसरों ने खलासी को पकड़कर पुलिस को सूचना दी। वाहन पर लदा करीब 22 सिलेंडर पुलिस ने कब्जे में रखा है। आरोपियों पर कार्रवाई के लिए विभाग ने डीएम को संस्तुति भेजी है।

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अमेठी गैस सर्विस की डिलीवरी वाहन संख्या यूपी 44 टी 1085 पर चालक व खलासी करीब दो दर्जन सिलेंडर लादकर जिलाधिकारी आवास के पीछे पहुंचे। मोहल्ले में घूमने के बाद राजकीय पशु चिकित्सालय के समीप करीब ग्यारह बजे वाहन खड़ा किया। कुछ सिलेंडरों को वाहन से उतारा और उससे दूसरे सिलेंडर में गैस डालने लगे। यह सब होता देख किसी ने आपूर्ति महकमा को सूचित कर दिया। सूचना पाकर प्रभारी जिला आपूर्ति अधिकारी अजय कुमार सिंह मौके पर पहुंचे। अधिकारी के वाहन को आता देख चालक वाहन छोड़ भाग निकला। हालांकि खलासी को मौके से पकड़ लिया गया। मामले की सूचना पुलिस को दी तो दो जवान भी पहुंचे। खलासी को हिरासत में लिया और सिलेंडर लदा वाहन कोतवाली ले गए।

इनसेट..पत्रावली संस्तुति के लिए डीएम के पास

प्रभारी डीएसओ अजय कुमार सिंह ने बताया कि गैस कालाबाजारी के कर रहे खलासी को पकड़ लिया गया है। डिलीवरी वाहन और 22 सिलेंडरों को पुलिस के कब्जे में रखा गया है। आरोपियों पर कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को संस्तुति भेजी गई है।

इनसेट..कहां गए दो अन्य वाहन

सुल्तानपुर : मवेशी अस्पताल के बगल रिफिलिंग के वक्त दो वाहन मौजूद थे। तीसरा वाहन मोहल्ले में घुसा तो अफसर को मौके पर पहुंचा देख रफूचक्कर हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार रिफिलिंग के समय एक वाहन पर बीस व दूसरे पर छह सिलेंडर थे। चालक से जब डीएसओ ने वितरक पर्ची मांगी तो वह नहीं दिखा सका। जवाब संतोषजनक न होने पर डीएसओ ने उस पर भी कार्रवाई की बात कही। लेकिन पुलिस के कब्जे में एक गाड़ी ही की गई। दूसरे वाहन वाहन चालक पर उदारता दिखाने का कारण जो भी हो पर एक मोहल्ले में एक साथ तीन-तीन वाहनों द्वारा कितनी डिलीवरी की जानी थी? इसका तो पता नहीं। लेकिन वास्तव में डिलीवरी की जानी थी तो चालक क्यों नहीं वितरक पर्ची दिखा पाया? आखिर कौन सा कारण था कि दो अन्य वाहनों को नजरंदाज कर एक को पुलिस के कब्जे में किया गया? इन सवालों का जवाब फिलहाल अनुत्तरित हैं।


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