'मैं प्रेम गीत लिखता हूं, तुम भी नया कलाम लिखो..'
सुल्तानपुर : 'नफरत के इस दीवाने को जल जाने से बेहतर है, मैं एक प्रेम गीत लिखता हूं तुम भी नया कलाम लिखो..।' यह चंद पंक्तियां हैं प्रख्यात कवि वाहिद अली की। जिन्होंने रविवार को पं.रामनरेश त्रिपाठी सभागार में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में सुनाईं। इस दौरान कवियों ने लालफीताशाही पर खास तौर पर व्यंग्य किया।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा समिति की ओर से कौमी एकता के मद्देनजर कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आयोजन हुआ। जिसमें कवियों ने अपनी रचनाओं के जरिए न सिर्फ श्रोताओं का मनोरंजन किया, बल्कि सरकार, नेता व अफसरों पर जमकर तंज कसे। नेताओं पर आधारित और अयोध्या में रामलला मंदिर पर केंद्रित एक कविता बाराबंकी के विकास बौखल ने पढ़ी 'नेता न बनाया तो तम्बू के तले रहा, नेता बनाया तो तम्बू भी नहीं पाउंगा।' आगे कहा..'आज विश्व का एक और अजूबा देखने को मिला है जो (पुलिस) किसी की नहीं सुनती वो भी यहां कविता सुन रही है।' इस पर लोगों ने जमकर तालियां बजाईं। कार्यक्रम में उन्नाव के केडी शर्मा, रायबरेली के हसन रायबरेलवी, बहराइच के आशुतोष श्रीवास्तव, लखीमपुर के फारुख सरल, सतना मप्र के रवि चतुर्वेदी व सुल्तानपुर की फलक सुल्तानपुरी ने अपनी-अपनी कृतियों से लोगों को खूब हंसाया और तालियां बटोरीं। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डीएम अदिति सिंह व विधायक राम चंद्र चौधरी ने दीप प्रज्जवलित कर किया।