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अपनों के बीच रच बस गए थे विजय

By Edited By: Published: Sun, 14 Sep 2014 10:01 PM (IST)Updated: Sun, 14 Sep 2014 10:01 PM (IST)
अपनों के बीच रच बस गए थे विजय

सुल्तानपुर : विजय मिश्र यूं तो अंबेडकरनगर के मूल निवासी थे। लेकिन सुल्तानपुर में वे करीब बारह वर्षो तक तैनात रहे। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी यहीं से हुई। तैनाती के शुरुआती दिनों में वे कुछ दिन तक किराए के मकान में रहे। करीब तीन साल पहले उन्होंने निरालानगर मोहल्ले में जमीन खरीदकर एक मकान भी बनवा लिया था। हालांकि उनके दोनो बच्चे दिल्ली में हैं। पत्‍‌नी ही यहां रहती थी। घटना के बाद घर पर ताला लटक गया है। मोहल्ले में भी वीरानी पसर गई है।

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बारह वर्षो तक जिले के कई थानों में उनकी तैनाती होती रही। लंबी पारी के चलते सुल्तानपुर उनका घर सरीखा हो गया था। तीन साल पहले उन्होंने निरालानगर में प्लाट खरीदा और फिर उस पर भवन निर्माण करा लिया। मिश्र के साथ उनकी पत्‍‌नी इस मकान में रहती थीं। कभी-कभार उनके 99 वर्षीय पिता और माता भी यहां आती थीं। उनके दो बेटे हैं। एक बेटा दिल्ली में इंजीनियर है, दूसरा उनके साथ दिल्ली में रहकर पढ़ाई कर रहा है। पड़ोसी मोहन शर्मा बताते हैं कि विजय बेहद मिलनसार थे। लोगों के सुख-दुख में हर जगह खड़े दिखते थे। वे छह भाई थे। मोहन बताते हैं कि घटना की सूचना से पूरा मोहल्ला गमगीन हो गया। कुछ लोग तो मिश्र के पैतृक गांव भी गए हैं।


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