'भारतीय भाषा दिवस के रूप में मनाएं हिंदी दिवस'
सुल्तानपुर : हिंदी दिवस को भारतीय भाषा दिवस के रूप में मनाना वर्तमान में ज्यादा प्रासंगिक है। देश को एक सूत्र में पिरोने में सिर्फ एक ही भाषा सक्षम है और वह है हिंदी। यह भी सत्य है कि अभी तक जो मुकाम मातृभाषा को मिलना चाहिए था वह नहीं मिल सका है। हमें इसके लिए सामूहिक प्रयत्न करना होगा। ये कहना है कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक विज्ञान संस्थान के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.राधेश्याम सिंह का। वे रविवार को कुड़वार रोड स्थित हरिहर प्रसाद महाविद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
रविवार को हिंदी दिवस के अवसर पर स्कूल-कालेजों, सामाजिक संगठनों एवं बैंकों की ओर से संगोष्ठियों के आयोजन किए गए। जिसमें मातृ भाषा की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की गई। लोगों ने हिंदी का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किए जाने पर बल दिया। हरिहर प्रसाद कालेज में बतौर मुख्य वक्ता केएनआइ के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.सिंह ने अपने उदबोधन में हिंदी भाषा के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डाला। कमला देवी संस्थान के प्रधानाचार्य रमाकांत पांडेय, पीपी इंटर कालेज के प्रवक्ता अर्जुन सिंह, बरियारशाह कालेज के जेपी सिंह व डॉ.कविता श्रीवास्तव ने विचार व्यक्त किए। प्रबंधक रूपेश सिंह ने मुख्य वक्ता को स्मृति चिन्ह अंगवस्त्र प्रदान किया। शहर के दरियापुर में बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय में अवकाश का दिन होने के बावजूद हिंदी दिवस की धूम रही। क्षेत्रीय प्रबंधक ओपी तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि कवि डॉ.डीएम मिश्र ने कहा कि हिंदी दुनिया की सबसे बड़ी भाषा है। जो सर्वाधिक लोगों द्वारा बोली जाती है। इसे 14 सितंबर 1949 को देश की राजभाषा का दर्जा हासिल हुआ है। जिस तरह से सब कामकाज हिंदी में हो रही है। देश के बाहर जो प्रचार-प्रसार हो रहा है। उससे यह कहने में संकोच नहीं कि हिंदी एक दिन विश्व की शीषार्थ भाषा बनेगी। वरिष्ठ प्रबंधक सीएल गुप्त ने बताया कि जितने भी पत्र -परिपत्र बैंक में जारी किए जाते हैं सब हिंदी में ही होते हैं। डीके खरे, त्रिवेणी सिंह, सुभाष पांडेय, एके राइन, वीपी सिंह, बीएन सिंह, आरके सिंह, जनार्दन त्रिपाठी, हरिबहादुर सिंह आदि मौजूद रहे। सूरापुर संवादसूत्र के अनुसार, संत तुलसीदास पीजी कालेज के बीएड विभाग की ओर से संगोष्ठी हुई। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि सौरभ त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी का सम्मान देश का सम्मान है। देश ही नहीं विश्व में भी हिंदी का चलन बढ़ा है। अब इसे बोलने व समझने वाले हेयदृष्टि से नहीं देखे जाते। विश्व में भारत और भारतीय साहित्य की पहचान हिंदी की वजह से ही है। डॉ.समीर पांडेय, प्राचार्य डॉ.अरविंद पांडेय, राजन चौरसिया, डॉ.आरपी सिंह आदि मौजूद रहे। उधर, जनता दल यूनाइटेड ने जिलाध्यक्ष ओपी उपाध्याय की अध्यक्षता में संगोष्ठी की। जिसमें कहा गया कि 66 फीसद लोग हिंदी का प्रयोग संपर्क भाषा के रूप में करते हैं। आने वाले वक्त में विश्व भाषा बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।