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तापमान बढ़ने से गेहूं उत्पादन में कमी के संकेत

सोनभद्र : मौसम के बदलते रंग से किसान परेशान हैं। किसानों की ¨चता कम होने की बजाए बढ़ती जा रही है। अब

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 11:57 PM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 11:57 PM (IST)
तापमान बढ़ने से गेहूं उत्पादन में कमी के संकेत
तापमान बढ़ने से गेहूं उत्पादन में कमी के संकेत

सोनभद्र : मौसम के बदलते रंग से किसान परेशान हैं। किसानों की ¨चता कम होने की बजाए बढ़ती जा रही है। अब बढ़े तापमान ने अन्नदाता की मुश्किलें और बढ़ा दी है। तापमान से खेतों में खड़ी गेहूं की फसल का उत्पादन कम होना माना जा रहा है। ऐसे में किसानों को फिर कुदरत की मार झेलनी पड़ेगी।

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फरवरी की शुरुआत से ही तापमान में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। कृषि विभाग के मुताबिक गेहूं की फसल के लिए ये शुभ संकेत नहीं है। तापमान में आई बढ़ोतरी से गेहूं का उत्पादन घट जाएगा। इसका सीधा प्रभाव किसानों पर होगा। ऐसे में गेहूं की फसल में भी अगर उन्हें नुकसान होता है तो उनके सामने संकट खड़ा हो जाएगा। जिले में हजारों हेक्टेयर भूमि पर रबी की खेती की जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस समय न्यूनतम तापमान तो सही है लेकिन दिन में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है, जो गेहूं की फसल के लिए सही नहीं है। इस समय गेहूं की फसल में दाना पड़ रहा है। अगर तापमान में गिरावट न आई तो गेहूं की फसल समय से पहले ही पक जाएगी जिससे दाने का पूरा विकास नहीं हो पाएगा। जब गेहूं के दाने का विकास नहीं होगा तो उत्पादन में गिरावट स्वाभाविक है। ऐसे में किसानों के सामने नई परेशानी आ खड़ी हुई। कृषि विभाग की मानें तो इस समय गेहूं की फसल के लिए न्यनूतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 25 डिग्री होना चाहिए। इस समय न्यूनतम तापमान तो 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास है लेकिन अधिकतम पांच से छह डिग्री अधिक है।

¨सचाई का करें उपयोग

बढ़े हुए तापमान को तो कोई कम नहीं कर सकता, लेकिन कुछ उपाय अमल में लाकर गेहूं में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। कृषि अधिकारी ने बताया कि इसके लिए गेहूं में जल्दी-जल्दी ¨सचाई की जानी चाहिए जिससे फसल सूखने न पाए। अगर इस समय फसल को पानी न मिला तो उत्पादन और कम हो जाएगा।

गेहूं के लिए तापमान अभी ठीक नहीं चल रहा है। किसानों को इसके लिए खेतों में नमी बनाए रखनी होगी। बढ़े तापमान से गेहूं का दाना समय से पहले ही पक जाएगा जिससे वह अपने पूर्ण आकार तक नहीं पहुंचेगा और उत्पादन घट जाएगा।


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