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रामकथा सुन श्रद्धालु हुए विभोर

जा.सं., रेणुकूट : ¨हडाल्को प्रबंधन के तत्वावधान में महाशिवरात्रि के अवसर पर रेणुकेश्वर महादेव मंद

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 11:40 PM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 11:40 PM (IST)
रामकथा सुन श्रद्धालु हुए विभोर
रामकथा सुन श्रद्धालु हुए विभोर

जा.सं., रेणुकूट : ¨हडाल्को प्रबंधन के तत्वावधान में महाशिवरात्रि के अवसर पर रेणुकेश्वर महादेव मंदिर परिसर में 21 से 24 फरवरी तक श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। दूसरे दिन पं. उमाशंकर शर्मा ने कहा कि माता सती तथा भगवान शंकर अगस्त के आश्रम से श्रीराम कथा का श्रवण कर जब चले तो मार्ग में श्रीराम माता सीता के हरण के उपरांत विलाप करते हुए साधारण मनुष्य की भांति पशु-पक्षी व वृक्षों से सीता को पूछते हुए मिलते हैं। श्रीराम की ऐसी स्थिति देख कर माता सती के मन में संशय उत्पन्न होता है, तब शिवजी के सहमति से परीक्षा लेने के लिए माता सती ने सीता का रूप धारण किया। श्रीरामजी ने उन्हें माता कह कर प्रणाम किया व चारों तरफ सीता-राम का दर्शन होने लगा तो माता सती लौट कर शिवजी से असत्य बोलते हुए कहती हैं कि मैं भी आपकी तरह प्रणाम कर वापस आ गई लेकिन शिवजी सती के यथार्थ चरित्र को जानकर मन में संकल्प लिया कि इस शरीर के साथ सती को कभी स्वीकार नहीं करूंगा। इसका तात्विक अभिप्राय यह है कि स्वयं की पत्नी के अतिरिक्त प्रत्येक स्त्री में माता को देखना चाहिए। इसी प्रकार माता सीता ने जब सहस्त्र मुखी रावण का वध करने के लिए महाकाली का रूप धारण किया तब श्रीराम ने भी सीता को माता मानकर, सीता को वनवास दे दिया। कारण कि, शिवस्थ हृदयं विष्णु:, विष्णोश्च हृदयं शिव: अर्थात रामजी व शिवजी में कोई भेद नहीं है।


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