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डीएम का फरमान, किसानों के विकल्प पर हो सर्वे

छपका से राब‌र्ट्सगंज नगर तक बिना भौतिक सत्यापन के बिछाई जा रही 132 केवी सिगल सर्किट लाइन के चलते सात गांवों के सैकड़ों किसानों की खेती योग्य भूमि कौड़ियों की मोल होने की आशंका है। विभागीय लापरवाही इस दर्जे तक पहुंच गई कि संबंधित किसानों से काम की अनुमति तक नहीं मांगी गई। इसे लेकर किसानों ने जिलाधिकारी को पत्र सौंपा। शुक्रवार को जब पुन किसानों का एक दल डीएम से मिला तो उन्होंने तत्काल रेलवे अव विद्युत विभाग के अधिकारियों को बुलवा लिया। यहां किसानों ने टावर की जगह केबल के माध्यम से लाइन बिछाये जाने की मांग की। इस पर डीएम ने किसानों द्वारा बताए गए विकल्प को शीर्ष प्राथमिकता में रखते हुए सर्वे करने का निर्देश विद्युत विभाग को दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 06:46 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 06:11 AM (IST)
डीएम का फरमान, किसानों के विकल्प पर हो सर्वे
डीएम का फरमान, किसानों के विकल्प पर हो सर्वे

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : छपका से राब‌र्ट्सगंज नगर तक बिना भौतिक सत्यापन के बिछाई जा रही 132 केवी सिगल सर्किट लाइन के चलते सात गांवों के सैकड़ों किसानों की खेती योग्य भूमि कौड़ियों की मोल होने की आशंका है। विभागीय लापरवाही इस दर्जे तक पहुंच गई कि संबंधित किसानों से काम की अनुमति तक नहीं मांगी गई। इसे लेकर किसानों ने जिलाधिकारी को पत्र सौंपा। शुक्रवार को जब पुन: किसानों का एक दल डीएम से मिला तो उन्होंने तत्काल रेलवे अब विद्युत विभाग के अधिकारियों को बुलवा लिया। यहां किसानों ने टावर की जगह केबल के माध्यम से लाइन बिछाये जाने की मांग की। इस पर डीएम ने किसानों द्वारा बताए गए विकल्प को शीर्ष प्राथमिकता में रखते हुए सर्वे करने का निर्देश विद्युत विभाग को दिया।

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किसानों की तरफ से बृजेश धर दुबे, मनोज धर दुबे, जय नारायण तिवारी व अन्य जिलाधिकारी के यहां गए थे। वहां रेलवे व विद्युत विभाग के अधिकारी भी बुलाए गए। सबके सामने ही किसानों ने कहा कि विद्युत विभाग जो टावर लाइन ला रहा है इससे किसानों को भारी नुकसान होगा। इसके बदले में केबल से लाइन अगर बनाई जाए तो बेहतर होगा। किसानों ने विभिन्न अभिलेख भी दिखाए जिससे भविष्य में टावर लाइन से खतरा है। किसानों की बात को सुनने के बार जिलाधिकारी ने विद्युत विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगर संभव है तो टावर लाइन की बजाय किसानों के विकल्प के अनुसार ही लाइन बनाई जाए। इसके लिए सर्वे करें। सर्वे करने के दौरान कुछ किसानों को भी बुला लें। उसकी रिपोर्ट भी देने के लिए उन्होंने कहा। विद्युत विभाग पारेषण के उप खंड अधिकारी जोखनराम ने बताया कि डीएम का निर्देश मिला है। मौसम साफ रहा तो शनिवार को सर्वे कराया जाएगा। क्या कहना है किसानों का

मौजूदा समय में छपका स्थित ट्रांसमिशन उपकेंद्र से 132 केवी राब‌र्ट्सगंज टीएसएस सिगल सर्किट लाइन बनाई जा रही है। किसानों का कहना है कि बिना भौतिक सत्यापन कराये बिना ही हाईटेंशन टावर लाइन बनाई जा रही है। जबकि रेलवे व बिजली विभाग के अधिकारियों ने ही केबिल के द्वारा लाइन बिछाने की आख्या दी है। छपका सब स्टेशन से उक्त लाइन को सीधे न ले जाकर गलत सर्वे के आधार पर मनमाने तरीके से टेढ़े-मेढ़े ले जाया जा रहा है। हाईटेंशन तार बनाने से पहले किसानों से लिखित सहमति भी नहीं ली गई और न ही कोई भूमि अधिग्रहण अथवा मुआवजा की कोई कार्यवाही की जा रही है। किसानों की भूमि से टावर लाइन ले जाने से उनकी भूमि मूल्यहीन हो जाएगी। किसानों ने कहा कि हाइटेंशन तार के कार्य को रोकते हुए जमीन के ऊपर से टावर लाइन न ले जाकर केबल के माध्यम से ले जाने की मांग की है। इससे छपका, बिचपई, सहिजन कलां, सहिजन खुर्द व पीथा आदि गांवों के 100 से अधिक किसान प्रभावित हो रहे हैं।


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