वर्षा-जल को संजोने के सरकारी प्रयास बौने
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : एक अनुमान के मुताबिक जनपद के 6,788 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर एक साल में लगभग
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : एक अनुमान के मुताबिक जनपद के 6,788 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर एक साल में लगभग सात हजार लाख लीटर पानी गिरता है। अब चूंकि जनपद के दो क्षेत्रों में भू-गर्भिक जल की समस्या को देखते हुए संवेदनशील घोषित कर दिया गया है। ऐसे में बरसात के इस मौसम में जल की बूंदों को जितना बटोर लें उसी में जनपदवासियों की अपार सफलता है। जनपद में पानी की स्थिति क्या है इसे बताने के लिए यहां होने वाले प्रदर्शनों से अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रमुख रूप से जनपद के दो विकास खंडों घोरावल व राबर्ट्सगंज के कुछ क्षेत्रों में भू-गर्भ जल की भयानक स्थिति है। यहां पर पूर्ण रूप से बो¨रग लगाने की मनाही कर दी गई है। गो¨वदपुर, ¨वढमगंज के गांवों में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। सबसे भयानक स्थिति खनन क्षेत्रों में है, जहां पर भू-गर्भ जल खनन के चलते गांवों के नीचे से गायब है। इस अव्यवस्था को बदलने के लिए कलेक्ट्रेट पर महीनों धरना-प्रदर्शन हुए। भू-गर्भ जल विभाग मीरजापुर ने समस्या से आगाह भी किया। लेकिन, हालात जस के तस हैं।
भू-गर्भ जल विभाग के मुताबिक, 1000मिमी बारिश होने की दशा में 100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले छत पर हर साल एक लाख लीटर पानी इकट्ठा किया जा सकता है। इसके लिए घरेलू स्तर पर भी पानी की बचत की जा सकती है। किसान भी इससे अछूते नहीं हैं। वैसे, इस संबंध में नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि बरसात के पानी के संरक्षण के लिए धंधरौल बंधा बनाया गया है। वहीं जिला पंचायत स्तर पर घोरावल, राबर्ट्सगंज सहित जनपद के विभिन्न हिस्सों में तालाबों को निर्माण किया गया है। दो नये तालाबों का निर्माण भी कराया जा रहा है।
क्या बोले अधिकारी..
मातृ-पितृ ऋण व गुरु ऋण से उऋण होने के संस्कार हममें हैं लेकिन प्रकृति की ऐसी बेशकीमती चीज को नष्ट करके उसे उऋण होने के संस्कार गायब हो गए हैं। जरूरत है कि बरसात के पानी को बेजा इस्तेमाल से बचें और उसे रोकें। जीवन को बचाने के लिए जल की एक-एक बूंद को बचाना होगा -नंद लाल राय, हाइड्रोलॉजिस्ट, भू-गर्भ जल, मीरजापुर।