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अतिक्रमण को लेकर प्रबंधन सख्त

अनपरा (सोनभद्र) : परियोजना की चहारदीवारी के अंदर अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध एनसीएल ककरी परियोजना

By Edited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 11:43 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 11:43 PM (IST)
अतिक्रमण को लेकर प्रबंधन सख्त

अनपरा (सोनभद्र) : परियोजना की चहारदीवारी के अंदर अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध एनसीएल ककरी परियोजना प्रबंधन ने सख्त रुख अख्तियार किया है। परियोजना के भू-संपदा पदाधिकारी न्यायालय द्वारा 24 सितंबर को जारी आदेश के तहत अतिक्रमणकारियों को 15 दिन का अंतिम अल्टीमेटम दिया गया है। इसके बाद भी अतिक्रमण नहीं हटा तो बलपूर्वक अतिक्रमण हटवाया जाएगा। प्रबंधन के रुख से अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मच गया है।

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एनसीएल ककरी के एसओपी पीपी ¨सह ने बताया कि परियोजना के खाली जमीनों पर व्यापक पैमाने पर अतिक्रमण किया गया है। स्थिति यह है कि अवैध रूप से अतिक्रमण कर परियोजना चहारदीवारी के अंदर भी बस्ती आबाद हो गई है। बार-बार सूचना देने के बाद भी अतिक्रमण न हटने पर भू-संपदा पदाधिकारी न्यायालय में वाद दायर किया गया। कई चक्रों में चली सुनवाई के बाद 24 सितंबर को जारी आदेश के तहत अतिक्रमण को अवैध ठहराते हुए खाली परिसर को अवैध कब्जे से मुक्त कराने का निर्णय सुनाया गया है। अवैध रूप से रह रहे 42 कब्जाधारकों को नोटिस जारी कर 15 दिन का अंतिम अल्टीमेटम दिया गया है। इसके बाद भी अवैध कब्जे को खाली न किए जाने पर बल पूर्वक अवैध कब्जे को हटवाया जाएगा। न्यायालय के आदेश से अवैध कब्जाधारकों में हड़कंप मच गया है। श्री ¨सह ने बताया कि चहारदीवारी के अंदर अतिक्रमण हटाने के बाद बाहर के कब्जों को हटवाया जाएगा।

काश्तकारों को न मुआवजा मिला न ही भूमि का स्वामित्व

अनपरा (सोनभद्र): एक तरफ एनसीएल प्रबंधन द्वारा जहां अवैध कब्जे को हटाने के लिए व्यापक अभियान छेड़ा गया है वहीं कई दशक पूर्व डिनोटिफिकेशन के तहत छोड़ी गई सैकड़ों एकड़ भूमि के संबंध में कोई निर्णय न लिए जाने से काश्तकारों के समक्ष विकट स्थिति पैदा हो गई है। डिनोटिफिकेशन के तहत छोड़ी गई भूमि धीरे-धीरे अवैध कब्जे का शिकार हो जाने से क्षेत्र में वर्ग संघर्ष की संभावना बलवती होती जा रही है। वर्ष 1995 में एनसीएल द्वारा स्थानीय परासी गांव की 385 एकड़, औड़ी की 20 एकड़ व ककरी की 12 एकड़ भूमि आवश्यकता न होने की बात कहकर डिनोटिफिकेशन के तहत छोड़ दी गई थी। इस भूमि के लिए एनसीएल द्वारा मुआवजा भी नहीं प्रदान किया गया है। इसके बाद भी आज तक खतौनी में उक्त भूमि पर एनसीएल का ही नाम दर्ज है। उक्त भूमि पर अवैध कब्जा होते देख काश्तकार भइया राम यादव, ज्वाला प्रसाद सोनी, र¨वद्र सोनी, राम कृपाल बैसवार आदि ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां से मुआवजे का आदेश भी दिया गया, ¨कतु एनसीएल द्वारा लिखित रूप से केंद्रीय कोयला मंत्रालय व जिला प्रशासन को जमीन अनुपयोगी होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया गया।

कहीं नहीं होती सुनवाई

अनपरा (सोनभद्र): डिनोटिफिकेशन के तहत छोड़ी गई भूमि के मामले में काश्तकारों की किसी भी स्तर पर सुनवाई भी नहीं होती है। काश्तकारों ने बताया कि जब वे अवैध कब्जे की शिकायत को लेकर प्रशासन के पास जाते हैं तो एनसीएल के नाम भूमि होने की बात कहकर उन्हें टरका दिया जाता है। इससे उनके समक्ष अपनी पैतृक संपति पर अवैध कब्जा होता देखने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता।


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