बाहुबल व धनबल के आगे हारा लोकतंत्र
सोनभद्र : ब्लाक प्रमुख चुनाव की तस्वीर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि धनबल व बाहुबल के जरिए लोकतं
सोनभद्र : ब्लाक प्रमुख चुनाव की तस्वीर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि धनबल व बाहुबल के जरिए लोकतंत्र हार गया। इससे यह कह जा सकता है कि इन दोनों के आगे मतदाता बहुत छोटे मोहरे हैं। इसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत यहां पर पूरी तरह से सटीक बैठ रही है।
ब्लाकों के परिणामों से यह साफ हो गया है कि सत्ता की धमक के साथ इस बार चुनाव में जमकर पानी की तरह पैसा बहाया गया है। क्षेत्र पंचायत सदस्यों को बड़ी उम्मीद के साथ मतदाताओं ने जिता कर आगे भेजा था, लेकिन उन्हें क्या पता कि राजनीति में मतों से अधिक ताकतवर पैसा होता है। यहां यह भी कहना सही होगा कि जिसकी जेब जितनी भारी होती है वह ही उतने आगे का रास्ता तय कर पाता है।
कुछ ऐसी ही तस्वीर बनी इस बार ब्लाक प्रमुख के चुनाव में। खुलेआम क्षेत्र पंचायत के उम्मीदवारों को पैसा देकर उन्हें अपने पाले में घसीटा गया। जनपद में नगवां ब्लाक को छोड़ दिया जाए तो अमूमन सभी ब्लाकों पर यही हावी रहा। चोपन, दुद्धी, बभनी व म्योरपुर में तो पैसे की ऐसी धमक रही कि विरोध में कोई प्रत्याशी मैदान में आने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाया।
एक-दो ने कोशिश की तो सत्ता की धमक व पुलिस का डर उसे ऐसा करने से मना कर दिया। धनबल व सत्ता की हनक के आगे किसी ने अपना नामांकन करना भी जरूरी नहीं समझा। चुनाव जीत कर क्षेत्र पंचायत सदस्य बने बहुत से नेताओं के मंसूबे धरे के धरे ही रह गए। म्योरपुर, दुद्धी, बभनी व चोपन ब्लाक के हालत तो ऐसे ही हैं। इन चार ब्लाकों में सपा के सामने अन्य दल के प्रत्याशी सामने तक नहीं आए।