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ट्रांसफार्मरों को बदलने में शासन की व्यवस्था फेल

सोनभद्र: शासन के लाख फरमान के बाद भी जनहित व जनकल्याण की योजनाओं में हीलाहवाली जारी है। अफसरों की सु

By Edited By: Published: Wed, 01 Jul 2015 07:12 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2015 07:12 PM (IST)
ट्रांसफार्मरों को बदलने में शासन की व्यवस्था फेल

सोनभद्र: शासन के लाख फरमान के बाद भी जनहित व जनकल्याण की योजनाओं में हीलाहवाली जारी है। अफसरों की सुस्ती व लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे ही एक मामले को लेकर विद्युत उपभोक्ता दर्द झेल रहे हैं।

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दरअसल शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जले या पड़े खराब ट्रांसफार्मरों को बदलने की योजना को सक्रियता प्रदान करने के लिए शासनस्तर पर व्यवस्था बनाई गई। इसके तहत नगरीय क्षेत्र में 24 घंटे व ग्रामीण क्षेत्रों में 72 घंटे के भीतर जले हुए ट्रांसफार्मरों को बदलना है। यही नहीं ट्रांसफार्मर को उतारने, उसे ले जाने व दूसरा ट्रांसफार्मर लगाने तक की जिम्मेदारी ठेकेदार को सौंपी गई है लेकिन जिले में ऐसा नहीं हो रहा है। न तो जल्द ट्रांसफार्मर बदले जा रहे हैं और न ही उपभोक्ताओं को राहत दी जा रही है। उसे उतारने के बाद लाने व ले जाने तक का पैसा देना पड़ रहा है।

शासनादेश की उड़ा रहे धज्जियां सरकार के निर्देशों का खुलेआम उलंघन किया जा रहा है। पूर्व में चली आ रही व्यवस्था की तरह ही काम किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ता संबंधित विभाग के अधिकारियों को ट्रांसफार्मर खराब होने की सूचना दे रहे हैं। अधिकारी इसकी जानकारी संबंधित ठेकेदार को भी दे रहे हैं लेकिन ठेकेदार हैं कि वहां वाहन भेजकर ट्रांसफार्मर ही नहीं उतरवा रहा। हालत यह है कि ग्रामीण ही मशक्कत कर ट्रांसफार्मर उतरवा रहे हैं और अपने खर्चे से खराब ट्रांसफार्मर को पीसीएल के स्टोर तक भेज रहे हैं। इतना ही नहीं स्टोर से दूसरा ट्रांसफार्मर भी उपभोक्ता ही गांव तक अपने खर्चे से ले जा रहे हैं।

डेढ़ से दो हजार तक कर रहे खर्च

ग्रामीण उपभोक्ताओं को एक ट्रांसफार्मर ले जाने व ले आने में डेढ़ से दो हजार रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है। यह काम उपभोक्ता आपस में चंदा लगाकर करते हैं। इधर ठेकेदार इसका भुगतान बिना काम किए ही करा ले रहा है।

दोहरी आमदनी कर रहे ठेकेदार व वाहन स्वामी

ट्रांसफार्मर ले आने व ले जाने के लिए जिन पिकअप को लगया गया है वे प्राइवेट काम कर रहे हैं। सामान की ढुलाई कर आमदनी करने के साथ ही बिना ट्रांसफार्मर ले जाए ही भुगतान कराकर दोहरी आमदनी कर रहे हैं। इससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से ठेकेदार की जवाबदेही तय करने की मांग की है, ताकि जले हुए ट्रांसफार्मरों को समय से बदला जा सके।

कराई जा रही है जांच

राब‌र्ट्सगंज विद्युत वितरण खंड के अधिशासी अभियंता हवलदार रावत के मुताबिक पूर्व में कुछ शिकायतें मिली थीं। इनकी जांच कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद यदि ठेकेदार दोषी पाया गया तो उसे इस व्यवस्था से अलग कर दिया जाएगा।


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