कूड़े में जिंदगी के मायने खोज रहे बच्चे
ओबरा (सोनभद्र) : नगर की सड़कों पर अक्सर ही कूड़े में कबाड़ खोज रहे बच्चों को आसानी से देख सकते हैं। ऐसा
ओबरा (सोनभद्र) : नगर की सड़कों पर अक्सर ही कूड़े में कबाड़ खोज रहे बच्चों को आसानी से देख सकते हैं। ऐसा लगता है जैसे बच्चे अपने जिंदगी के मायने इन्हीं कूड़ों व कचरों में तलाश रहे हैं। शिक्षा विभाग के प्रयास के बावजूद ऐसे बच्चों को अभी भी शत-प्रतिशत विद्यालय भेजने में सफलता नहीं मिल पा रही है।
पिछले दिनों चोपन विकास खंड के विद्यालयों के बच्चों व शिक्षकों ने रैली निकालकर जागरुकता अभियान चलाया था। इन बच्चों को विद्यालय भेजने में खुद अभिभावकों को जागरूक होने की जरूरत है। नगर और ग्राम के प्रत्येक वार्ड के सदस्यों को सचेत रहने की जरूरत है। जब तक नगर व ग्राम के सभी जन प्रतिनिधि सक्रिय होकर बच्चों के स्कूल भेजने का प्रयास नहीं करेंगे, तब तक सरकार के प्रयास के बावजूद शत-प्रतिशत सफलता मिलना मुश्किल है।
विद्यालय के शिक्षक बच्चों को स्कूल चलने के सदैव प्रेरित करते हैं। शिक्षा व्यवस्था के जिम्मेदारों को भी चाहिए कि 14 ंवर्ष तक के बच्चों को नि: शुल्क शिक्षा तभी दी जा सकती है, जब शिक्षकों से महज अध्यापन का कार्य लिया जाए और अन्य कार्यो से मुक्ति दिलाई जाए। बहुतेरे कार्य से शिक्षकों की स्थिति बहुउद्देशीय कर्मियों जैसी हो गई है।
शिक्षक नेता अनिल तिवारी ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे हुए अधिकारियों ने बार-बार प्रयोग कर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को पटरी से उतार दिया है। इतना ही नहीं अब तो माध्यमिक स्तर की शिक्षा को भी धीरे-धीरे चौपट करने पर तुले हैं। शिक्षकों से लिए जा रहे गैर शैक्षणिक कार्यो पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए तभी जाकर बिगड़ी हुई शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लाई जा सकती है।