सुबह की कटौती से बिगड़ी दिनचर्या
सोनभद्र : दिन और रात में बिजली कटौती चाहे जब और जितनी हो लेकिन सुबह की कटौती से पूरी दिनचर्या खराब हो जा रही है। कहीं लोग स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो कहीं पीने का पानी ही नहीं मिल रहा है। हैंडपंपों पर पानी लेने के लिए लंबी लाइन लग जाना आदत में शुमार हो गया है। यहां तक कि मारामारी की नौबत भी आ जा रही है। यह कहना है राबर्ट्सगंज के बिजली उपभोक्ताओं का।
हर्ष नगर के राजाराम का कहना है कि अमूमन लोग सुबह छह से सात बजे तक सोकर उठते हैं। उस समय आवश्यक दिनचर्या के लिए पानी चाहिए ही चाहिए लेकिन बिजली न रहने पर नल से पानी की आपूर्ति बंद रहती है। इस हालत में हैंडपंप से पानी लेना मजबूरी हो जाता है। पूरी कालोनी में हैंडपंप की हालत वैसे भी खराब चल रही है। उसमें मटमैला और प्रदूषित पानी आ रहा है। एक, दो हैंडपंप ठीक भी हैं तो भीड़ ज्यादा हो जाती है। इससे समय से पानी नहीं मिल पाता।
हाईडिल कालोनी के संजय, माला सिंह, जयप्रकाश का कहना है कि ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जिनके पास छत पर टंकी है। सुविधा संपन्न लोग तो पानी का स्टोर कर लेते हैं लेकिन सत्तर फीसद से अधिक लोग सुबह पानी का इंतजार करते ही हैं। कहा कि रोस्टर बदल कर सुबह की कटौती बहाल कर देना चाहिए।
उरमौरा के दिनेश पासवान, माया सिंह, कविता खान,जसोदा रानी का कहना है कि यदि प्रात: काल ही समस्या से शुरुआत हो तो मानसिक रूप से आदमी दिनभर परेशान रहता है। अत : दिनचर्या अच्छी हो इसके लिए बिजली की आपूर्ति के लिए रोस्टर बदलना जरूरी है।
चंडी तिराहा के मनोज दयाल, राम नरेश, विद्यावती, सरोज का कहना है कि एक दर्जन से अधिक विद्युत परियोजनाओं के रहते हुए जनपद बिजली कटौती का दंश झेल रहा है। इस पर केंद्र और प्रदेश सरकार को गंभीर विचार करना चाहिए। यहां के लोगों को कम से कम 24 घंटे नहीं तो 20 घंटे बिजली देनी ही चाहिए। यदि इतनी बिजली नहीं मिल पा रही है तो यह जनपद वासियों के साथ अन्याय ही है। कहा कि यदि आपूर्ति पर्याप्त मिलनी लगे तो इसका किसानी से लेकर व्यवसायियों को भी लाभ मिलेगा।
मेन चौक के अरविंद जायसवाल, दया पांडेय, सुख सागर, रामजी का कहना है कि सुबह अच्छा बीत जाता है तो व्यक्ति मानसिक रूप से अन्य काम करने में भी तन्मयता से जुट जाता है। इसके लिए जरूरी है कि बिजली मिले और स्नान आदि के लिए व्यवधान न हो।