बंजर धरती पर लहलहा रही मटर की फसल
सीतापुर : 'फलक को जिद है, जहां बिजलियां गिराने की। हमें भी जिद है वहीं आशियां बनाने की।।' इस हौसले
सीतापुर : 'फलक को जिद है, जहां बिजलियां गिराने की। हमें भी जिद है वहीं आशियां बनाने की।।' इस हौसले और आत्मविश्वास का दूसरा नाम है अमरजीत ¨सह। पेशे से किसान अमरजीत ने भूड़ इलाके की बंजर धरती का सीना चीरकर अनाज उगाने का कारनामा कर दिखाया है। अपनी इस उपलब्धि से वह आसपास के किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। खेती में आए इस बदलाव ने उनकी ¨जदगी बदल दी।
पिसावां विकास खंड के ठकुरेपुर गांव के बाहर बंजर भूखंड को कई साल पहले उन्होंने खरीदा था। उस समय इस बंजर धरती पर घास तक नहीं उगती थी, लेकिन अमरजीत की मेहनत से आज उसी जमीन पर मटर की फसल लहलहा रही है। रोजाना हजारों रुपये की मटर तोड़कर अमरजीत बाजार भेजते हैं। उन्होंने बताया कि इस बंजर खेत को खरीदने के बाद सबसे पहले भूखंड की ट्रैक्टर से जोताई कर इसे समतल किया और फिर पाटा लगाया। इसके बाद इस पर तालाब से लाकर कई ट्राली मिट्टी और खाद डालकर खेत को बोआई के लिए तैयार किया। इसके बाद इसमें मटर की खेती शुरू की। अमरजीत की मेहनत रंग लगाई, आज उसी जमीन पर मटर की फसल लहलहा रही है। वह बताते हैं कि मटर में कम लागत में अधिक मुनाफा होता है। वह रोजाना हजारों रुपये की हरी मटर तोड़कर सीतापुर सहित हरदोई और शाहजहांपुर की थोक मंडी को भेजते हैं। इसके अलावा तमाम मटर को वह सूखा कर भी बेचने की तैयारी कर रहे हैं। एग्रो क्लीनिक सेंटर के प्रभारी छबिनाथ शुक्ला ने बताया कि भूमि को देखकर अमरजीत को मटर की खेती करने की सलाह दी। सलाह कामयाब रही, आज मटर का अच्छा उत्पादन हो रहा है।