स्टोन डस्ट से बना रहे पीएचसी
सीतापुर : महमूदाबाद तहसील क्षेत्र के अहिबरपुर गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का निर्मा
सीतापुर : महमूदाबाद तहसील क्षेत्र के अहिबरपुर गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का निर्माण हो रहा है। इसे जलनिगम की सीएंडडीएस यूनिट-53 बना रहा है। पीएचसी निर्माण में घटिया सामग्री प्रयोग होने की शिकायत की जांच हुई तो पता चला कि मौरंग के स्थान पर स्टोन डस्ट का प्रयोग हो रहा है। मसाले में सीमेंट की मात्रा कम है। पीला ईंट का प्रयोग हो रहा है। इस पीएचसी भवन की निर्माण लागत 1.49 करोड़ रुपये है, जिसके सापेक्ष कार्यदायी संस्था को 74.50 लाख रुपये दिए भी जा चुके हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा पूरे मामले की जानकारी दिए जाने के बाद डीएम के निर्देश पर सीडीओ ने जांच के लिए दो सदस्यीय समिति गठित कर दी है। इसमें पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड-प्रथम और ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अधिशासी अभियंता शामिल किए गए हैं। सीडीओ ने पीएचसी निर्माण मामले में संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई के लिए इन अभियंताओं से जल्द ही रिपोर्ट मांगी है। जानकारी हो कि पीएचसी भवन निर्माण में प्रयोग की जा रही सामग्री आदि की प्रारंभिक जांच स्वास्थ्य विभाग के अवर अभियंता ने की है। अभियंता की जांच रिपोर्ट के मुताबिक अहिबनपुर में पीएचसी बनाने का काम एमएसडीपी योजना में कार्यदायी संस्था कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज यूनिट-हरदोई (सीएंडडीएस) द्वारा किया जा रहा है। जांच के वक्त कार्यदायी संस्था के भी अधिकारी मौके पर मौजूद थे। निर्माणाधीन स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य भवन का 80 प्रतिशत तक कार्य पूरा भी हो गया है। अस्पताल बनाने में ईंट चिनाई में मौरंग की जगह स्टोन डस्ट प्रयोग हुई है। ईंटों की गुणवत्ता बेहतर नहीं है। इस तरह कई खामियां सामने आने पर विभागीय अवर अभियंता ने स्वास्थ्य केंद्र भवन निर्माण कार्य की जांच तकनीकी विभाग से कराने की संस्तुति की थी। जिस पर डीएम के निर्देश पर सीडीओ ने जांच समिति गठित कर रिपोर्ट मांग ली है।
डीएम ने प्रबंधक से मांगा जवाब
स्वास्थ्य विभाग के अवर अभियंता की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट का संज्ञान लेकर जिलाधिकारी डॉ. सारिका मोहन ने कार्यदायी संस्था के परियोजना प्रबंधक से जवाब-तलब कर लिया है। उन्होंने प्रबंधक से कहा है कि अस्पताल बनाने में गुणवत्ता विहीन सामग्री जैसे मौरंग के स्थान पर स्टोन डस्ट व पीला ईंटा आदि का प्रयोग किया जा रहा है। निर्देश दिए हैं कि इस पूरे मामले में परियोजना प्रबंधक तुरंत स्थिति स्पष्ट करें। वहीं दूसरी तरफ सीएमओ से कहा है कि जब तक भवन की तकनीकी जांच पूरी नहीं होती है, भवन पूर्ण होने के उपरांत भी उसे चार्ज में नहीं लिया जाएगा।