उतराई, छनाई व कर्दा मदों में गल्ले की कटौती
सीतापुर : गल्ला मंडी में दो सरकारी क्रय केंद्र खोले गए हैं। इनमें एक हाट शाखा व दूसरा एसएफसी का केंद
सीतापुर : गल्ला मंडी में दो सरकारी क्रय केंद्र खोले गए हैं। इनमें एक हाट शाखा व दूसरा एसएफसी का केंद्र शामिल है, जहां किसानों के गेहूं में उतराई, कर्दा, छनाई आदि के नाम पर कटौती हो रही है। हालांकि इसके लिए प्रदेश शासन ने साफ मनाही कर रखी है, लेकिन दोनों केंद्रों पर हैंड¨लग एवं परिवहन ठेकेदार की दबंगई से किसानों के गल्ले में कटौती की जा रही है। इससे किसानों ने अब मजबूर होकर गल्ला बेचने के लिए अपना रुख गल्ला मंडियों की ओर कर लिया है। वहीं मंडियों में गल्ले की नीलामी नहीं होने से गेहूं का भाव 1,500 रुपये प्रति कुंतल से ऊपर नहीं बढ़ पा रहा है, जबकि शासन ने गल्ला मंडियों में प्रत्येक दिन दो बार गल्ले की नीलामी के आदेश जारी कर रखे हैं। यही नहीं गल्ले की नीलामी के लिए सुबह 11 बजे और दोपहर तीन बजे का समय भी शासन ने तय कर रखा है। दोनों क्रय केंद्रों पर हैंड¨लग एवं परिवहन ठेकेदार की मनमर्जी के कारण वहां अभी तक कुछ एक किसानों से ही गेहूं की खरीद हो पाई है। हाट शाखा केंद्र पर मिली जानकारी के मुताबिक बीते दिन शुक्रवार तक 2200 ¨क्वटल और एसएफसी के क्रय केंद्र पर केवल 184 ¨क्वटल गेहूं खरीद हो सकी है। इन दोनों केंद्रों के प्रभारी ने खरीद कम होने का कारण किसानों के केंद्रों पर नहीं आने का बता रहे हैं। प्रभारी किसानों के गल्ले में उतराई, कर्दा, छनाई आदि मदों में गेहूं की कटौती को भी इन्कार करते हैं। वह कहते हैं कि जब केंद्र पर किसान आएंगे तो उनसे गल्ला खरीदा जाएगा। जबकि क्षेत्रीय किसानों का कहना है कि हाट शाखा और एसएफसी दोनों क्रय केंद्रों पर करीब डेढ़ ¨क्वटल गल्ला उतराई, कर्दा, छनाई आदि के नाम पर काट लिया जाता है, और भुगतान में भी काफी समस्याएं खड़ी की जाती हैं। ऐसे में मंडी में जाकर गल्ला बेचना उनके लिए बेहतर है, हालांकि वहां उन्हें घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 1525 रुपये के हिसाब में भुगतान नहीं मिलता, लेकिन जो भाव होता है उस हिसाब में उन्हें भुगतान मिलने में समस्या नहीं होती है।