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एक शीश के बदले हम सिर बीस काटकर लाएंगे

सीतापुर : गांजर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले लालपुर बाजार में आलोक लोक सेवा संस्थान के तत्वावधान मे

By Edited By: Published: Tue, 03 May 2016 10:49 PM (IST)Updated: Tue, 03 May 2016 10:49 PM (IST)
एक शीश के बदले हम सिर बीस काटकर लाएंगे

सीतापुर : गांजर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले लालपुर बाजार में आलोक लोक सेवा संस्थान के तत्वावधान में गुलाल पत्रिका परिवार के सौजन्य से विशाल राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ से पधारे कवि विष्णुकांत मिश्र ने की। इस आयोजन में विभिन्न स्थानों से पधारे हुए कवियों व शायरों द्वारा लालपुर बाजार के नाम को गुलालपुर में परिवर्तित करने हेतु एक प्रस्ताव तैयार किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में पधारी धौरहरा सांसद रेखा वर्मा ने अपनी सहमति प्रदान करते हुए अग्रसारित किया। मुख्य अतिथि द्वारा मां वाणी के चित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन व कवियों द्वारा की गयी। सरस्वती वंदना के उपरांत कवि सुरेश फक्कड़ के संचालन में आलोक सीतापुरी द्वारा एक छंद प्रस्तुत करके कार्यक्रम का विधिवत प्रारंभ किया गया। उन्होंने कहा, कभी यौन दुष्कर्म न हो पहना दो पहना दो कवच सुरक्षा का, रक्तबीज बो गई दामिनी महिलाओं की रक्षा का। अम्बरीष श्रीवास्तव अंबर ने कहा कि नैना बरसें नीर बन, दुनिया देती दांव। चलकर नीचे जा रहे, हैं पानी के पांव। डॉ. मनोज दीक्षित ने कहा कि कहने वाले बहुर मिलेंगे करने वाले कम होते, शीश सहज ही बलिवेदी पर धरने वाले कम होते.. लखनऊ से पधारे डॉ. शैलेंद्र ¨सह मृदु ने आज कविता में बस देश का गान हो, चंद्रशेखर भगत बोस का मान हो कहकर कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान की। अरुण शर्मा बेधड़क ने कहा कि तेरा वैभव अमर रहे मां सबक उन्हें सिखलाएंगे, एक शीश के बदले हम सिर बीस काटकर लाएंगे। केदार नाथ शुक्ल ने कहा कि जो पानी और पसीने की बूंदों में भेद न जान सके, वे सुरा सुंदरी के भोगी श्रम का महत्व बतलाते हैं। कामिनी वर्मा ने कहा कि आसरा तेरा इस जहां में मिले ना मिले मुझको तेरा सहारा सदा चाहिए। बाराबंकी से पधारे डॉ. अम्बरीष अम्बर ने कहा, निर्दय रहा कभी न भारत और न रहा कठोर है, असहिष्णु कहने वालों के दिल में ही कुछ चोर है। रायबरेली के अनिल श्रीवास्तव लल्लू ने कहा कि जिस दिन दस बीस पचास व्यक्तियों को मार कर आएगा, निश्चित ही सांसद या विधायकी का टिकट पा जाएगा। उपरोक्त के साथ-साथ गुडगांव हरियाणा से ब्रजेश द्विवेदी, लखनऊ से विष्णु कांत मिश्र, गोरखपुर से मनमोहन मिश्र, आलोक सीतापुरी डॉ. मनोज दीक्षित, नागेश शांडिल्य, फतेहपुर से समीर शुक्ल, लखीमपुर से मयंक मोहन दीक्षित, केदार नाथ शुक्ल, रायबरेली से अनिल लल्लू, लखीमपुर खीरी से सतीश शुक्ल, अरुण शर्मा बेधड़क, आशुतोष शुक्ल, आचार्य अंबिका अम्बुज, मनोज मिश्र, अपूर्व त्रिवेदी व अतुल बाजपेयी आदि ने काव्य पाठ किया। अंत में लालपुर के गुलाल परिवार की और से डॉ. मुंशीलाल वर्मा ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।


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