मौनी व सोमवती अमावस्या आज, घाटों पर लेगेंगे मेले
सीतापुर : माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस साल आठ फरवरी को मौनी अमावस्या है। सो
सीतापुर : माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस साल आठ फरवरी को मौनी अमावस्या है। सोमवार को अमावस्या पड़ने के कारण यह सोमवती अमावस्या भी है। ज्योतिष के अनुसार, विभिन्न योगों का निर्माण होने से यह विशेष दिन है। इस दिन किए गए दान-पुण्य, पूजन, स्नान आदि शीघ्र फलदायी होते हैं।
मौनी और सोमवती अमावस्या के मौके पर तीर्थ नगरी नैमिषारण्य में पौराणिक चक्रतीर्थ सहित मोक्षदायिनी गोमती के तटों पर आस्थावनों का सैलाब उमड़ेगा। इसके अलावा खैराबाद के भुइयां ताली तीर्थ, हरगांव के सूर्यकुंड आदि तीर्थ स्थलों पर भी श्रद्धालुओं का मेला लगेगा। सुबह ब्रह्मा मुहूर्त में आस्था की डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं ने रविवार की शाम को ही तीर्थ स्थलों पर पहुंचना शुरू कर दिया था। मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत धारण करके ही स्नान करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पीसी मिश्रा ने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन सूर्य तथा चंद्रमा गोचरवश मकर राशि में आते हैं, इसलिए यह दिन एक संपूर्ण शक्ति से भरा हुआ और पावन अवसर बन जाता है। इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी माना जाता है। इसलिए भी इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता हैं। इस दिन पवित्र नदियों व तीर्थ स्थलों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण कर मानसिक जाप करने से कई गुना अधिक फल मिलता है। उन्होंने बताया कि साधक को इस दिन पवित्र सरोवर में स्नान, मानसिक जाप, हवन एवं दान करना चाहिए। दान में स्वर्ण, गाय, छाता, वस्त्र, बिस्तर एवं उपयोगी वस्तुओं का दान करना चाहिए। ऐसा करने से सभी पापों का नाश होता है। गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल मिलता है। इस दिन मौन रहकर अपने इष्टदेव के मंत्र का जाप करने से वह शीघ्र सिद्धि देता है। इस दिन तीर्थस्थलों के जल में स्नान करने और शुभ संकल्प करने से जीवन के पाप-दोष दूर होते हैं।