दीपक के प्रकाश की तरह है शास्त्रों का ज्ञान
सीतापुर : समाज भक्ति तो बढ़ रही है, मगर ज्ञान और वैराग्य सोए हुए हैं। समाज और हमारा कल्याण केवल भक्त
सीतापुर : समाज भक्ति तो बढ़ रही है, मगर ज्ञान और वैराग्य सोए हुए हैं। समाज और हमारा कल्याण केवल भक्ति से नहीं हो सकता। यह सद्वचन वृंदावन धाम से पधारे डॉ. श्याम सुंदर पाराशर ने सहगल धर्मशाला में आयोजित सात दिवसीय दिव्य श्री मद भागवत कथा के पहले दिन कहे। उन्होंने कहा कि ज्ञान और वैराग्य भक्ति के पुत्र हैं और कोई भी मां अपने बच्चों को कष्ट में नहीं देख सकती है।
डॉ. पाराशर ने कहा कि दिव्य शास्त्रों का लेखन संतों ने साग-पात खाकर किया है। ऐसे शास्त्रों का हमें मनोयोग से अध्ययन कर उनके दिखाए गए मार्ग पर ही चलना चाहिए, तभी हमारा कल्याण होगा। उन्होंने कहा कि शास्त्रों द्वारा सुझाए गए मार्ग पर चलने पर हो सकता है कि शुरुआत में परेशानी का सामना करना पड़े, मगर बाद में वही शास्त्र हमारा सुंदर मार्गदर्शन करते हैं। शास्त्रों का ज्ञान अंधकार में उस दीपक के प्रकाश की तरह है जो खुद जलकर दूसरों को रोशनी प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि भागवत कथा में 335 अध्याय, 12 स्कंध और 18 हजार श्लोक है। इसके श्रवण से हर तरह के पाप करने वाले का कल्याण हो जाता है, ठीक उसी तरह से जैसे धुंधकारी का उद्धार हुआ था। इस दौरान डॉ. जीएन सहगल, मोनू सहगल ओर अरुण सहगल समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।