बारिश के बाद मंडी बाजार में गेहूं व मसूर भाव में आया उछाल
सीतापुर : बेमौसम बारिश के बाद खुले बाजार में गेंहू और दलहन के भाव एकाएक उछाल मार गया है। शहर गल्ला म
सीतापुर : बेमौसम बारिश के बाद खुले बाजार में गेंहू और दलहन के भाव एकाएक उछाल मार गया है। शहर गल्ला मंडी में शुक्रवार को मसूर 5800 रुपये के भाव में बिकी तो गेहूं का भाव 1455 रुपये तक पहुंच गया है। मंडी में रबी फसलों के उत्पादन के भाव का यही हाल शनिवार को भी मंडी में देखने को मिला। थोक गल्ला व्यापारियों को उम्मीद है कि अप्रैल अंत तक बाजार में मसूर का भाव छह हजार रुपये से ऊपर निकलने में कोई मुश्किल नहीं है। इसी तरह गेहूं का मूल्य भी 1500 तक पहुंचने की पूरी उम्मीद लग रही है। बाजार में गेहूं व मसूर की बढ़ रही बेहताशा मंगाई को देखने के बाद यही लग रहा कि किसानों का गेहूं खरीदने में तमाम समस्याएं बताने वाले सरकारी क्रय केंद्र उन्हें ताकते ही रह जाएंगे। ऐसे में केंद्र प्रभारियों के लिए लक्ष्य भी पूरा करना मुश्किल हो जाएगा।
शहर गल्ला मंडी सचिव प्रवीण कुमार अवस्थी और मंडी निरीक्षक कैलाश शुक्ला ने बताया कि बेमौसम बारिश होने से मंडी में गल्ले की आवक कमजोर है। लेकिन दिनों-दिन गल्ले के भाव में तेजी देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि 10 दिन पहले मंडी में मसूर 4,900 से 5 हजार तक बिक रही थी, और इसके बाद धीरे-धीरे दस दिन के अंतराल में बीते दिन शुक्रवार तक मसूर 5,700 से 5,800 रुपये तक के भाव में पहुंच गई है। इसी तरह बेमौसम बारिश से पहले मंडी बाजार में गेहूं का भाव 1,200 से 1,370 रुपये तक था, जो शनिवार को 1,300 से 1,455 रुपये तक के भाव में पहुंच गया। उन्होंने बताया कि खुले बाजार में गल्ले की बढ़ रही तेजी को देखकर कहा जा सकता है कि अप्रैल के अंत तक मसूर का दाम छह हजार रुपये से भी ऊपर चढ़ सकता है। इसी तरह गेहूं का मूल्य 1,500 रुपये से भी अधिक होने की संभावनाएं प्रबल होती देखी जा रही हैं। मंडी सचिव ने बताया कि बेमौसम बारिश के कारण गल्ला मंडी में गेहूं व दलहन की आवक बेहद कमजोर है। उन्होंने बताया कि पिछले साल आज कल के समय में प्रतिदिन 50-60 हजार ¨क्वटल गेहूं व मसूर आदि गल्ले की आवक मंडी में होती थी। जबकि गल्ला मंडी में गल्ले की आवक की आज हालत यह है कि अधिकतम 2,200 ¨क्वटल गेहूं व मूसर की आवक हो रही है।
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35 प्रतिशत निकल रहा चोकर
शहर गल्ला मंडी के कच्चा आढ़ती संघ के महामंत्री विनय गुप्ता, विमल गुप्ता व अन्य व्यापारी और मिलर बताते हैं कि बेमौसम बारिश से गेहूं का दाना बहुत प्रभावित हुआ है। मंडी में अधिकांश गेहूं मोटे दाने का आ रहा है, जो चित्तीदार काला भी है। जिससे आटा व मैदा बदरंग हो रहा है और वह अधिक दिन स्टोर करने वाला नहीं है अन्यथा सड़ने जैसी बदबू आने लगती है। आटा व मैदा बनाने में चोकर 35 प्रतिशत निकल रहा है, जबकि सामान्य गेहूं में अधिकतम 25 प्रतिशत चोकर निकलता है। उन्होंने कहा गेहूं व मसूर का दाना मोटा होने के कारण यह है कि बेमौसम बारिश में वह कई बार भीगा और कड़ी धूप में सूखा। जिससे दाना खराब हुआ है। इन मंडी व्यापारियों ने कहा कि डैमेज गेहूं अधिक दिन रखने वाला नहीं है, इसमें कीड़े लग सकते हैं और खराब भी हो सकता है। इन व्यापारियों को उम्मीद है कि अप्रैल के अंत तक और मई माह के पहले सप्ताह तक गेहूं का दाम 1500 रुपये और मसूर 6 हजार रुपये से भी अधिक मूल्य में बिकने की पूरी संभावनाएं हैं।
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केंद्रों पर 22 हजार ¨क्वटल खरीदा गेहूं
डिप्टी आरएमओ अनुपम निगम ने बताया कि क्रय केंद्रों के माध्यम से अब तक 22 हजार ¨क्वटल गेहूं की खरीद हो गई है। उन्होंने बताया कि जनपद में 115 क्रय केंद्र खोले गए हैं। जिन पर 1450 रुपये के भाव में गेहूं खरीदा जा रहा है। उन्होंने बताया कि बीती 11 अप्रैल को केंद्र सरकार की टीम जनपद में आई थी। इस टीम ने गेहूं के नमूने को संग्रहीत किया है। उम्मीद है कि इस टीम के सर्वे का लाभ किसानों को मिलेगा। जिससे उनका कुछ स्तर तक डैमेज गेहूं भी सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीदा जा सकता है।