बोर्ड कॉपियों के मूल्यांकन पर संकट
सीतापुर: यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन 30 मार्च से शुरू होना
सीतापुर: यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन 30 मार्च से शुरू होना है। मूल्यांकन के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक ने तीन केंद्र बना लिए हैं। जिनमें जीआइसी सीतापुर, जीजीआइसी सीतापुर व एचकेपी हैं। विभाग के सामने उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य को लेकर समस्या खड़ी हो गई है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण शिक्षकों के द्वारा मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार करने की घोषणा करना है। कापियों के निरीक्षण में सबसे ज्यादा शिक्षक वित्तविहीन व अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक लगते थे। लेकिन इन शिक्षकों ने अपनी कई मांगों के निस्तारण न होने के कारण मूल्यांकन कार्य न करने की घोषणा की है। माध्यमिक शिक्षा संघ सहित वित्तविहीन शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने भी मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया है।
गत वर्ष का भुगतान नहीं हुआ
माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मागुट के संरक्षक डॉ. सुरेश तिवारी ने बताया गत वर्ष राजकीय इंटर कॉलेज में 500 शिक्षकों ने उत्तरपुस्तिकाएं निरीक्षित की थीं। उनमें से सौ शिक्षकों को अभी तक मानदेय नहीं मिला है। जबकि इसकी शिकायत वह कई बार कर चुके हैं। जीआइसी प्रधानाचार्य कहते हैं कि शिक्षकों का पैसा भेज दिया गया है जबकि अभी तक पैसा खातों में नहीं पहुंचा है। इसके अलावा कई अन्य मांगों के निस्तारण न होने के कारण तीन दिन तक मूल्यांकन कार्य बाधित किया जाएगा क्योंकि छात्रों का हित भी देखना है।
माशिसंघ पांडे गुट ने किया विरोध
माध्यमिक शिक्षक संघ पांडे गुट ने भी मूल्यांकन कार्य के बहिष्कार की घोषणा की है। संघ के जिला मंत्री संजय बाजपेई ने बताया वर्ष 2013 में कक्ष निरीक्षकों के अधिकांश बिल अभी भी अवशेष हैं। इनका भुगतान न होने के कारण संघ से जुड़े सभी शिक्षक मूल्यांकन नहीं करेंगे।
वित्तविहीन शिक्षकों ने भी किया किनारा
माध्यमिक वित्त विहीन शिक्षक महासभा के पदाधिकारियों ने शासन द्वारा मानदेय न दिए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए यूपी बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार किया है। महासभा के जिलाध्यक्ष पंकज पाण्डेय ने बताया समाजवादी पार्टी के मुखिया के स्पष्ट आश्वासन में एवं चुनावी घोषणा पत्र में शीर्ष पर प्रदेश के माध्यमिक वित्त विहीन शिक्षकों को मानदेय देने की बात कही थी। जिसके संबंध में जिलों से लेकर प्रदेश स्तर तक कई बार मांगपत्र दिया गया व धरना प्रदर्शन किया गया लेकिन 3 साल बीतने के बाद भी वित्त विहीन शिक्षकों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा मानदेय न दिए जाने के कारण मूल्यांकन कार्य नहीं करेंगे।