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25 करोड़ से अधिक का हुआ कारोबार

सीतापुर : भौम प्रदोष व्रत और ऐन्द्र योग के मध्य मंगलवार को धनतेरस का पर्व मनाया गया। वैभव प्रदान कर

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 11:33 PM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 11:33 PM (IST)
25 करोड़ से अधिक का हुआ कारोबार

सीतापुर : भौम प्रदोष व्रत और ऐन्द्र योग के मध्य मंगलवार को धनतेरस का पर्व मनाया गया। वैभव प्रदान करने वाले इस पर्व पर शहर का बाजार देर रात तक खरीदारों से गुलजार रहा। इस मौके पर लोगों ने आज जमकर खरीदारी की।

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बर्तन मंडी, सर्राफा मंडी, होम एप्लाइसेस और वाहनों के शोरूम पर ग्राहकों का दिन भर ताता लगा रहा। लोगों ने चादी के सिक्के के साथ ही साथ चादी की गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं भी खरीदी। बाजार के जानकारों का अनुमान के मुताबिक जिले में 25 करोड़ से अधिक का कारोबार हुआ है। सुबह से लेकर देर रात तक बर्तन, आभूषण, गणेश-लक्ष्मी, देवी के कपडे़ और पूजन सामग्री की दुकानें ग्राहकों से भरी नजर आई।

'सिक्के' पर भारी पड़ा 'डालर'

सीतापुर : बाजार में ब्रिटिश शासन के चांदी के सिक्कों की कमी से 'डालर' की जमकर बिक्री हुई। इसके अलावा चादी के लक्ष्मी-गणेश और भगवान के सिंहासन की भी जमकर बिक्री हुई। सर्राफा व्यवसायी राज नरायण सहगल ने बताया कि चांदी के भाव बिकने वाला यह 'डालर' सौ प्रतिशत शुद्ध चादी से निर्मित है। सर्राफा व्यवसायी राजेश नरायण सहगल ने बताया कि दस ग्राम का डालर 430 रुपये का और चांदी का डिजायन किया हुआ रुपया 230 रुपये की कीमत पर बिका। सर्राफा व्यवसायी मनोज रस्तोगी ने बताया कि बाजार में शुद्ध चादी से निर्मित दस ग्राम का सिक्का 430 रुपये में बिका। इसके अलावा चांदी के लक्ष्मी-गणेश और सिंहासन आदि की दर 39,000 रुपये प्रति किलो रही।

बर्तन व्यापारियों की बल्ले-बल्ले

धनतेरस के पर्व पर आज बर्तन व्यापारियों की भी बल्ले-बल्ले रही। इस मौके पर लोगों ने बर्तन एवं अन्य घरेलू उपयोग की सामग्री खरीदकर शगुन किया। बर्तनों का कारोबार भी आठ करोड़ से अधिक का हुआ। बर्तन व्यवसायी अचल गुप्ता ने बताया कि मंगलवार को स्टील 200 से 260 रुपये प्रति किलो, पीतल 425 से 550 रुपये और भेदा 425 से 450 रुपये प्रति किलो की दर से बिकी।

800 दोपहिया वाहन बिके

धनतेरस के मौके पर दोपहिया वाहनों को खरीदने के लिए शोरूमों पर खासी भीड़ रही। देर शाम तक विभिन्न कंपनियों के करीब आठ सैकड़ा से भी अधिक वाहनों की बिक्री हुई। इनमें दो पहिया वाहनों के साथ ही तीन पहिया वाहन और ट्रैक्टर शामिल हैं।

चादी का सिक्का ही क्यों

चादी के सिक्कों को समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है। इसी परपरानुसार धनतेरस के मौके पर इन सिक्कों को खरीदने एवं दीपावली के मौके पर इन सिक्कों का पूजन करने की परपरा है। चादी के इन सिक्कों को लोग अपने खजाने में रखते है। माना जाता है कि इससे घर में धन-धान्य में वृद्धि होती है।


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