कठिन डगर है लापता मासूमों की तलाश
सीतापुर : लापता मासूमों को तलाशने की डगर पुलिस के लिए आसान नहीं है। यह तलाश भूसे के भारी-भरकम ढेर से
सीतापुर : लापता मासूमों को तलाशने की डगर पुलिस के लिए आसान नहीं है। यह तलाश भूसे के भारी-भरकम ढेर से सुई तलाशने जैसा है। गुमशुदा बच्चों की तोतली जबान भी कई बार बच्चों को सही पते पहुंचने में बाधक बन जाती है। ऐसे में लापता बच्चों की तलाश और लंबी हो जाती है। यही वजह है कि तमाम प्रयासों के बाद भी अभी कई मासूम अपने घरों से दूर दर-दर भटकने को विवश हैं। वहीं माता पिता भी अपने लाडलों की वापसी की आस में दरवाजे पर टकटकी लगाए बैठे हुए है।
डीसीआरबी प्रभारी बृजलाल वर्मा बताते हैं कि पुलिस की कोशिशें अधूरी रहने का एक मुख्य कारण परिवार के लोगों द्वारा पर्याप्त जानकारी मुहैया न करा पाना भी रहता है। कई मामलों में परिजन बच्चों की फोटो उपलब्ध नहीं करा पाते है और न ही व्यापक जानकारियां मुहैया करा पाते है। ऐसे में पुलिस उनकी तलाश करे भी तो कैसे, यह प्रश्न खुद पुलिस के सामने खड़ा हो जाता है।
जिले में अब तक बच्चों के लापता होने के 255 अभियोग पंजीकृत किए जा चुके है। जिनमें 205 अपने घरों को पहुंच गए है व दस के शव मिले चुके हैं। शेष लापता बच्चों की तलाश के लिए स्थानीय पुलिस के साथ साथ मिसिंग सेल छानबीन कर रही है। लापता बच्चों को तलाशने में जुटी पुलिस के सामने तमाम दिक्कतें आ रही है। सबसे बड़ी समस्या परिजनों द्वारा बच्चों के संबंध में पर्याप्त जानकारी व उनका फोटोग्राफ मुहैया न करा पाने के रूप में आ रही है। मिसिंग सेल में दर्ज कई मामले ऐसे है, जिसमें परिजन लापता बच्चों की फोटो मुहैया नहीं करा सके है। फोटो न मिल पाने के कारण पुलिस महज हुलिया के आधार पर छानबीन करती है, लेकिन फोटो के अभाव में पुलिस की छानबीन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाती है। ऐसे मामले वर्षो तक पुलिस की फाइल में पेंडिंग पड़े रहते है। इसके अलावा कुछ मामले ऐसे भी सामने आते है, जिनमें परिजन बच्चों के साथ हुई कहासुनी व उसकी मानसिक परेशानी के संबंध में जानकारी नहीं मुहैया करा पाते है।
तलाश न होने तक जारी रहती है छानबीन
लापता बच्चों को उनके घर पहुंचाने के लिए पुलिस तब तक छानबीन करती रहती है, जब तक बच्चों का पता नहीं चलता है। बच्चों की तलाश के लिए संबंधित थानों की पुलिस व मिसिंग सेल के अलावा राज्य व केंद्र अपराध ब्यूरो पर भी कार्रवाई की जाती है। अपराध ब्यूरो में देश के सभी लापता बच्चों के संबंध में जानकारी एकत्रित की जाती है। उनके मिलने पर संबंधित थानों को सूचित किया जाता है।