शंका के घेरे में आया फ्लेक्सी फंड
सीतापुर: जिले की सभी 4,232 आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकत्रियों ने लखनऊ जाकर एक ही फर्म से पांच-पांच रजिस्टर व एक-एक कैलकुलेटर खरीदे हैं। यह रजिस्टर कुल 42.32 लाख रुपये में फ्लेक्सी फंड के मद में खरीदे गए हैं। इसलिए लगभग सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के पास लखनऊ की एक ही फर्म के बिल भी मौजूद हैं।
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में आंगनबाड़ी केंद्रों पर जरूरी वस्तुओं की खरीद के लिए एक विशेष फंड के तौर पर 'फ्लेक्सी फंड' योजना दो साल पहले ही शुरू की गई है। शुरुआती दौर में ही गड़बड़ी सामने आ गई है। बीते वित्तीय वर्ष में इसी फंड के तहत राज्य सरकार ने प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए एक-एक हजार रुपये की दर से जिले में विभाग को कुल 42 लाख 32 हजार रुपये उपलब्ध कराए थे। विभाग का कहना है कि यह पैसा प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता के खाते में 500 रुपये की दर से भेज दिया गया था। इसके बाद इन पैसों का क्या हुआ, इसे जानने के लिए जब लगभग दर्जनभर आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं से जानकारी ली गई तो हैरत में डालने वाला मामला सामने आया। अधिकांश कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के राजाजीपुरम के प्रभुकंज-एफ-ब्लाक 2290 में स्थित श्याम ट्रेडिंग कंपनी में पांच-पांच रजिस्टर व एक-एक कैलकुलेटर खरीद के बिल दिखाए। बिल नवंबर 2013 के हैं। कार्यकर्ताओं ने कहा ऐसे ही सभी केंद्रों पर श्याम ट्रेडिंग कंपनी से ही सामग्री क्रय की गई है। बिल सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पास मौजूद हैं। कार्यकर्ताओं ने बताया कि यह सप्लाई व बिल उनको परियोजना कार्यालय से मिले हैं। अलबत्ता जाहिर है कि वर्ष 2013-14 में फ्लेक्सी फंड में विभाग को प्राप्त 42 लाख 32 हजार रुपये से प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र के लिए स्टेशनरी लखनऊ की एक ही फर्म खरीदी गई है।
इनसेट-
क्या है नियम
फ्लेक्सी फंड मद की खर्च की जाने वाली धनराशि के बावत शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि इस पैसे से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता केंद्र पर आवश्यक वस्तुओं की खरीद करेंगी। इसके लिए उसे किसी एक ही फर्म से सामान क्रय करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
'फ्लेक्सी फंड का पैसा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के खाते में भेजा गया था, उन्होंने कहां से सामान की खरीद की है मुझे नहीं मालूम। हो सकता है श्याम ट्रेडिंग कंपनी ने केंद्रों पर जाकर सप्लाई दी हो।
-अखिलेंद्र दुबे, डीपीओ'
'यह मामला हमारे समय का नहीं है, इस प्रकरण में मेरे पास कोई लिखित में शिकायत आए तो इसकी जांच कराई जाएगी।
-केदारनाथ सिंह, सीडीओ'