गम में बदलीं विजय दिवस की खुशिया
सीतापुर: 26 जुलाई, आज से ठीक पंद्रह वर्ष पूर्व इसी दिन भारतीय सेना ने देश के इतिहास में बड़ी जीत दर्ज की थी। जंग में दुश्मनों को खदेड़कर कारगिल की चोटी पर एक बार फिर तिरगा लहरा दिया था। 26 जुलाई की पूर्व संध्या पर भारतीय सेना के तीनों अभिन्न अंग जल, थल व वायु सेना द्वारा विजय दिवस के जश्रन् की तैयारिया की जा रही थी, उन्ही तैयारियों के बीच सीतापुर में हेलीकाप्टर क्रैश के हादसे ने पूरे एयरफोर्स महकमे को सदमे में डाल दिया। एयरफोर्स के अधिकारी तैयारियों के बीच हादसे का शिकार हुए जवानों के शवों को आग से धधक रहे हेलीकाप्टर के मलबे से निकालने में जुट गए और हादसा किन कारणों से हुआ, इसकी जाच शुरू की गई।
26 जुलाई 1999 को कारगिल में चल रहे युद्ध में भारतीय सेना की थल और वायु सेना ने जीत हासिल की थी। जवानों ने भारतीय मस्तक कश्मीर पर हमला करने वाले पाकिस्तानी दुश्मनों को खदेड़कर कारगिल के टाइगर हिल्स पर भारतीय तिरगा फहराया था। इसी जीत के लिए हर वर्ष 26 जुलाई का दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। विजय दिवस की पूर्व संध्या पर वायुसेना के क्रैश हुए हेलीकाप्टर हादसे में एअर फोर्स ने सात जवानों को हमेशा के लिए खो दिया है। इस हादसे में वायु सेना के विंग कमाडर टीएनबी सिंह, स्क्वाड्रन लीडर आर मनु, सार्जेट आर पाडा, जूनियर वारट आफिसर मुखर्जी, कॉरपोरल मनोज यादव, आरके सिंह और एलएससी नायडू शामिल है। तकनीकी खामियों से हुए इस हादसे ने वायुसेना के अफसर सदमे में है। हादसे के बाद मौके पर पहुंचे सेना के अफसरों ने हादसे की जाच शुरू की है। हालात यह थे कि जो जवान हादसे का शिकार हो गए है, उन्हे पहचानने में भी अधिकारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इन जवानों की पहचान के लिए न सिर्फ उनका पोस्टमार्टम होगा, बल्कि डीएनए टेस्ट भी कराया जाएगा। ताकि मृत जवानों के परिजनों को उनके शव सौपे जा सके। ऐसे में विजय दिवस का जश्रन् अब वायुसेना के लिए सात जवानों की मौत का मातम में तब्दील हो गया है। विजय दिवस की खुशिया फीकी पड़ गई है। वायु सेना के अधिकारी विजय दिवस के दिन हादसे की उच्च स्तरीय जाच में जुटे हुए है। शनिवार को खुशिया आने से पहले ही विजय दिवस की पूर्व संध्या पर वायु सेना के लिए सात जवानों की दुखद मौत की खबर लेकर आई। शायद, विजय दिवस के साथ अब वायु सेना के लिए उसकी पूर्व संध्या यादगार रहेगी। यह बात और है कि विजय दिवस की पूर्व संध्या दुखद हादसे के रूप में वायु सेना के इतिहास में दर्ज होगी।
सदमे में है सीतापुर के देशप्रेमी
कारगिल विजय में सीतापुर के लाल कैप्टन मनोज पाडेय ने वतन की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। शनिवार को विजय दिवस की पंद्रहवीं वर्षगाठ पर कैप्टन मनोज पाडेय की सहादत को याद कर उन्हे श्रद्धाजलि देने वाले हजारों देश प्रेमियों को इस हादसे ने झकझोर दिया है। पाकिस्तानी सेना व आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने तथा उनके नापाक इरादों को नेस्तानाबूद करने वाले परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पाडेय व सैकड़ों जवानों के साहस व शहादत को याद कर लोगों का सिर फक्र से उठ जाता है। आज हम कैप्टन मनोज पाडेय व शहीद हुए जाबाजों के साथ ही इन सात वायु सैनिक को भी सलाम करते है।