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सड़कें बांट रही मौत, उनको पता ही नहीं

जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर : जिले की सभी प्रमुख सड़कें मौत बांट रही हैं, बावजूद इसके संबंधित महकमे

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jun 2017 10:41 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 10:41 PM (IST)
सड़कें बांट रही मौत, उनको पता ही नहीं
सड़कें बांट रही मौत, उनको पता ही नहीं

जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर : जिले की सभी प्रमुख सड़कें मौत बांट रही हैं, बावजूद इसके संबंधित महकमे बेपरवाह बने हुए हैं। इनकी रोकथाम को कौन कहे, उनको तो यह भी नहीं पता कि साल में अब तक कितनी मार्ग दुर्घटनाएं हुई हैं तथा इनमें कितने लोगों ने अपनी जान गंवाई है। राजमार्ग से लेकर जिले की सभी प्रमुख सड़कें राहगीरों को खुलेआम डेथ वारंट बांट रही हैं। यहां के नागरिक हर वक्त जान हथेली पर लेकर सफर करते हैं। हर साल तमाम जानें जाती भी हैं, लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। बस फिक्र है तो इतनी कि उनकी नौकरी मौज में चलती रहे। उस पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए।

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जनपद में दो राष्ट्रीय राजमार्ग व दो स्टेट हाईवे सहित सभी प्रमुख सड़कों का बुरा हाल है। स्टेट हाईवे पर तो थोड़ा-बहुत काम हुआ भी है, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुधार के नाम पर अबतक विनाश ही हुआ है। एनएच का ठप्पा लिए बैठी ककरहवा-बस्ती मार्ग व फरेंदा-नौगढ़-बढ़नी मार्ग पर ही अधिकांश दुर्घटनाएं हो रही है। यह दोनों ही सिर्फ नाम की एनएच हैं, सुविधाएं रत्ती भर भी नहीं हैं। इन पर सुरक्षित सफर की कल्पना करना ही बेमानी है। हर कदम पर गड्ढों के रुप में मौत मुंह बाए खड़ी है। कब किसको अपनी आगोश में ले लेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता है। बावजूद इसके परिवहन विभाग को यह ब्लैक स्पाट नहीं दिखते हैं। यहां तो पूरी सड़क ही ब्लैक है, फिर भी विभाग को केवल 6 ब्लैक स्पाट ही नजर आते हैं। जिले में तमाम अंधे मोड़ ऐसे हैं, जहां विभाग एक अदद बोर्ड लगवाना भी जरूरी नहीं समझता है। ऐसे में दुर्घटनाएं होना लाजिमी है।

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जागरूकता के नाम पर होती है रस्मअदायगी

यातायात माह व सड़क सुरक्षा पखवारा के नाम पर यातायात व परिवहन विभाग के लोग महज खानापूर्ति करते हैं। वाहन चालकों ने शराब पी है या नहीं, इसकी जांच के लिए पुलिस के पास ब्रीथ एनेलाइजर व ओवर स्पीड की ट्रै¨कग के लिए भी उपकरण मौजूद हैं। यह दीगर बात है कि नवंबर माह के अलावा वर्ष के शेष 11 महीने यह किसी कोने में पड़े धूल फांकते रहते हैं। इनको तो यातायात माह के नाम पर सिर्फ समन शुल्क वसूलने से मतलब रहता ह , जबकि सड़क पर उसकी तैयारियां सिफर ही हैं। वर्ष भर में कितने सड़क हादसे हुए और इसमें कितनों को अपनी जान गंवानी पड़ी, यातायात पुलिस, बड़ी पेशी सहित परिवहन विभाग के पास इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह हादसों को रोकने के लिए कितने अलर्ट हैं?

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इस साल 51 ने गंवाई जान

इस वर्ष जनवरी से अभी तक जिले में 76 मामलों में अब तक कुल 51 लोगों की मौत हो चुकी है तथा 70 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इसमें भी अधिकांश मामले राजमार्गों से संबंधित ही हैं। यह आंकड़े जिला चिकित्सालय के आधे-अधूरे अभिलेखों व संस्मरण के अनुसार हैं। जिम्मेदार विभागों के पास इसका कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है।

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सड़कों पर सूचक के नहीं कोई इंतजाम

राजमार्गों सहित यहां की सभी प्रमुख सड़कों पर रिफ्लेक्टर या सूचकों का कोई इंतजाम नहीं है। जहां सूचक लगे भी हैं, उनको इश्तिहारों ने ढक लिया है। नगर के भी तमाम ट्रैफिक सिगनल क्षतिग्रस्त हो चले हैं। इनकी मरम्मत पर किसी का ध्यान नहीं है। निर्माणाधीन हाइवे पर जगह-जगह तमाम डायवर्जन बने हुए हैं, लेकिन राहगीरों को आगाह करने के लिए इससे संबंधित बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। तमाम खतरनाक मोड़ सहित दुर्घटना बहुल क्षेत्रों में विभाग द्वारा कोई कासन नहीं लगाया गया है।परिणामस्वरूप आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

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एक दूसरे पर खेलते रहे जिम्मेदार

इस संबंध में बात करने पर जिम्मेदार एक दूसरे के ऊपर खेलते रहे। यातायात प्रभारी देवानंद ने बताया कि इसका कोई रिकार्ड हमारे पास नहीं है। बड़ी पेशी में इसका रिकार्ड होता है। वहीं से मिल सकता है। जब बड़ी पेशी में पेशकार बसंत लाल से पूछा गया तो उन्होंने साफ मना करते हुए कहा कि यह आंकड़ा तो यातायात पुलिस कार्यालय से ही मिलेगा। अंत में काफी प्रयास के बाद सीओ यातायात दीप नरायन त्रिपाठी से संपर्क हुआ तो उन्होंने आंकड़े मौजूद होने की बात तो कबूल की पर बता नहीं सके। कहा कि इसके लिए समय देना पड़ेगा। काफी जद्दोजहद के बाद यातायात प्रभारी ने दूरभाष पर बताया कि इस वर्ष मई माह तक कुल 76 मार्ग दुर्घटनाओं में 49 लोगों की मौत हुई है, जबकि 40 अन्य घायल हुए हैं। इसमें कल उसका थानाक्षेत्र में हुई दर्दनाक दुर्घटना सहित इस माह के आंकड़े शामिल नहीं है


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