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यहां तो कालाबाजारी का गवाह हर चौराहा

सिद्धार्थनगर : जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण अंचल तक का हर चौराहा गैस रीफि¨लग एवं ब्लैक मार्के¨टग का

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Jun 2017 11:02 PM (IST)Updated: Sat, 17 Jun 2017 11:02 PM (IST)
यहां तो कालाबाजारी का गवाह हर चौराहा
यहां तो कालाबाजारी का गवाह हर चौराहा

सिद्धार्थनगर : जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण अंचल तक का हर चौराहा गैस रीफि¨लग एवं ब्लैक मार्के¨टग का गवाह है। मुख्यालय पर ही कम से कम दर्जन भर स्थानों पर रसोई गैस की कालाबाजारी व रीफि¨लग की जा रही है। यह और बात है कि प्रशासन को यह दिखाई नहीं दे रहा है। अभी पखवारा भर पूर्व ही पूर्ति कार्यालय से चंद कदमों की दूरी पर ही पुलिस ने रीफि¨लग के कारोबार का भंडाफोड़ किया था। पुलिस की सूचना पर जिला पूर्ति अधिकारी को वहां पहुंचने में करीब घंटा भर का समय लगा था, जबकि पैदल ही महज पांच मिनट का रास्ता है। गैस की रीफि¨लग का यह गोरखधंधा शायद साहबों की इसी मेहरबानी की देन है।

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विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिले में 3.15 लाख परिवारों के पास गैस कनेक्शन है। जनपद में प्रतिदिन करीब 5 हजार सिलेंडरों की खपत होती है। इसमें से करीब हजार सिलेंडर हर माह अनधिकृत कार्यों में प्रयुक्त होते हैं। चाट-खोमचे के ठेलों से लेकर बड़ी-बड़ी चाय की दुकानों व होटलों में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है। कनेक्शन को आधार से जोड़ दिए जाने एवं डीबीटी लागू हो जाने के बावजूद भी यह खेल धड़ल्ले से जारी है। रीफि¨लग का कारोबार भी इस जिले में खूब फल-फूल रहा है। रीफि¨लग करने वाले उपर से तो अपनी दुकान को गैस चूल्हा मरम्मत का मुलम्मा दिए रहते हैं। पर अंदर से रीफि¨लग का कारोबार करने से गुरेज नहीं करते। रीफि¨लग के कारोबार से हर रोज करीब 10 लाख रुपये के वारे-न्यारे होते हैं।

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घनी आबादी में गैस के गोदाम प्रतिबंधित हैं। रीफि¨लग की सूचना पर मैं तुरंत ही वहां पहुंचा था। प्रकरण की जांच की जा रही है। शीघ्र ही जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। हर हाल में रसोई गैस के अवैध करोबार पर अंकुश लगाया जाएगा।

नरेंद्र तिवारी

जिला पूर्ति अधिकारी

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ग्रामीण क्षेत्रों में भी चंगा है धंधा

भारतभारी-डुमरियागंज : भारत भारी (मोतीगंज), अजगरा, आजाद नगर, भग्गोभार आदि स्थानों पर छोटे सिलेंडरों का प्रयोग धड़ल्ले से दुकानदार कर रहे हैं। इन सिलेंडरों में गैस कहां भरी जाती है, इसकी जानकारी लेने का प्रयास जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कभी नहीं किया गया। जानकारों की मानें तो कुछ लोग अवैध तरीके से गैर रीफि¨लग का धंधा करते हैं। वे लोग रसोई गैस का बड़ा सिलेंडर लेते हैं और उससे दुकानों के अंदर बहुत गोपनीय तरीके से रीफि¨लग छोटे सिलेंडर में करते हैं। बताया जाता कि इस धंधे में प्रति सिलेंडर अच्छा-खासा मुनाफा होता है। विडंबना तो ये है कि बाजारों में जगह-जगह रीफि¨लग के तहत छोटे सिलेंडर से बाकायदा चूल्हा जलाकर दुकान चलाई जाती है। कुछ चाय, मिठाई, चाट की दुकानें ऐसी भी हैं, जहां कामर्शियल के बजाए रसोई गैस का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जाता है। चूंकि किसी जिम्मेदार द्वारा जांच की नहीं जाती है, इसलिए इस धंधे से जुड़े लोग भी निडर होकर उक्त कारोबार को चला रहे हैं। पूर्ति निरीक्षक जय नारायण का कहना है कि रीफि¨लग व दुकानों पर रसोई गैस का प्रयोग करना गलत है। यदि कहीं ये धंधा हो रहा है, तो स्थानों को ¨चहित करते हुए छापामारी कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।


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